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होली का चटकीला रंग

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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महीना फाल्गुन मस्ती का आया,
कि रंगों की खुशियां खूब है लाया
सारा जहांन रंगों से खूब महकाया
सुहावना खुशबूदार मौसम बनाया

रंगों की कालीन यह पर्व बिछाया
प्रेम प्यार का माहौल खूब बनाया
घर आंगन में रंगों की ऋतु लाया
पिचकारी रंग की सबपर बहाया

प्यारी न्यारी मनभावन फुहार लाया
फाल्गुन की रंग बिरंगी बहार लाया
मस्ती भरी धुनों की तान में नचाया
महफ़िल हंसी ठहाके की सजाया।

सबको हंसा हंसाकर हंसी में डुबाया
बिरंगीरँगीन कालीन बिछाते आया
फाल्गुन फिर मधुर मुस्कान लाया
हंसी मुस्कान से रौनक चेहरे में लाया।

निमंत्रण फागुन का महीना भिजवाया
सबको करीब यह महीना बुलाया
जमकर रंग की पावन होली खिलाया
मस्ती का माहौल होली पर्व बनाया

खूब चटकीला रंग चेहरे पर लगवाया
महकता मुस्कुराता रंग खूब उड़ाया
चारोदिशाओ को सुहावना बनाया
रंगोंभरे मौसम में भेदभाव भुलाया।

भंग रंग चंग की तरंगों को डुबाया
खूबमस्ती में रंगपर्व पर नहलाया
रंगों की खुशबू में सबको लिपटाया
फिर महीना फाल्गुन का आया

तनबदन में रंग की हलचल मचाया
स्नेह प्रेम एकता की यह गांठ बंधाया
अदभुत आनंद की तृप्ति दिलवाया
रंग बिरंगा सुहावना रंग यह बरसाया

बखूबी जीवन में हम सबको हर्षाया
मिलने जुलने प्रीत की राह दिखाया
एक दूसरे को रंग गले लगाना चाहा
परममित्र बनाया गहरी प्रीत बढ़ाया।

मथुरा गोकुल वृंदावन बरसाना रूपी
होली का रंग जगह जगह दिखलाया
राधा कृष्ण खेलत होली का माहौल
फाल्गुन में बनता जाए ऐसा प्रेमभरा
महीना रंगबिरंगी फाल्गुन बनाया

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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