शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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मैं आदमी हूँ
मुझे परेशानी भी
आदमी से ही है
मैं परेशान भी
आदमी के लिए ही हूँ
क्योंकि मैं आदमी
होने से पहले
किसी जाति का हूँ
किसी धर्म का हूँ
किसी संप्रदाय और
विचारधारा का हूँ
जिससे कारण मुझे
आदमी आदमी नहीं
बल्कि दिखाई देता है
तो कोई विरोधी
कोई दुश्मन, कोई ऊँचा,
कोई नीचा
कोई काला तो कोई गोरा
हाँ मैं आदमी हूँ।
मुझे आदमी होने का
मूल्य पता नहीं
इसलिए मेरा दुःख
कभी जाता नहीं.
मेरे विचार ही मेरे दुःख है
इस बात को मैं समझता नहीं.
खुद से ही अनजाना हूँ.
इसलिए आदमी होकर भी
आदमी से ही बेगाना हूँ.
सुखी मैं, जानवरों जितना भी नहीं
पर सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी हूँ
हाँ मैं आदमी हूँ।
आदमी होने की कीमत
कुछ इस तरह मैंने अदा की है
आदमी होकर आदमी को ही
आदमी से जुदा की है
क्योंकि मेरी खुशी
मेरे आदमी होने में नहीं
मेरी महत्वकांक्षा
का पूरी होने में है.
मैं आदमी होने के गुरुर में
आत्मीयता को भूल चुका हूँ
थोड़ी सी लालच के लिए
करोड़ो बेजुबानों का
मैं खून कर चुका हूँ
हाँ मैं आदमी हूँ
मैं आदमी हूँ
मुझे परेशानी भी
आदमी से ही है
मैं परेशान भी
आदमी के लिए ही हूँ
क्योंकि मैं आदमी
होने से पहले
किसी जाति का हूँ
किसी धर्म का हूँ
किसी संप्रदाय और
विचारधारा का हूँ
जिससे कारण मुझे
आदमी आदमी नहीं
बल्कि दिखाई देता है
तो कोई विरोधी
कोई दुश्मन, कोई
ऊँचा, कोई नीचा
कोई काला तो कोई गोरा
हाँ मैं आदमी हूँ।
मुझे आदमी होने का
मूल्य पता नहीं
इसलिए मेरा दुःख
कभी जाता नहीं.
मेरे विचार ही मेरे दुःख है
इस बात को मैं समझता नहीं.
खुद से ही अनजाना हूँ.
इसलिए आदमी होकर भी
आदमी से ही बेगाना हूँ.
सुखी मैं, जानवरों
जितना भी नहीं
पर सृष्टि का
सर्वश्रेष्ठ प्राणी हूँ
हाँ मैं आदमी हूँ।
आदमी होने की कीमत
कुछ इस तरह मैंने अदा की है
आदमी होकर आदमी को ही
आदमी से जुदा की है
क्योंकि मेरी खुशी
मेरे आदमी होने में नहीं
मेरी महत्वकांक्षा
का पूरी होने में है.
मैं आदमी होने के गुरुर में
आत्मीयता को भूल चुका हूँ
थोड़ी सी लालच के लिए
करोड़ो बेजुबानों का
मैं खून कर चुका हूँ
हाँ मैं आदमी हूँ
परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
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