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देशवासियों जागो

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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जागो, देश वासियों जागो
छद्मवेष है कोने-कोने में
मन में खोट बसी इक खेमे में
जागो देश वासियों, जागो।
धोखे बहुत सहे हमने
अब मिट रहा‌आवरण भ्रम का
भारत माता अपनी जननी है
इसकी रक्षा हमको करनी है।
सनातन संस्कृति
अपना आभूषण है
इस पर न्योछावर
भारत का जन मन‌ है
इसकी रक्षा अपना प्रण है
इसे नहीं मिटने देंगे।
समय कहीं भी रखे‌ हमको
फिर भी ‌हम कुछ कर सकते हैं
कलम धनी हो यदि अपनी
अपना योगदान दे सकते हैं ।
जागो, देश वासियों, जागो।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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