Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हरावल दस्ता

संजय डुंगरपुरिया
अहमदाबाद (गुजरात)
********************

जो लोग राजपूती युद्धशैली से वाकिफ हैं वो इसका अर्थ भली-भांति जानते हैं। हरावल सेना का वो दस्ता होता है जो युद्ध की भेरी बजने पे दुश्मन सेना से आमने सामने की भिड़ंत करता है। मकसद होता है सामने वाले को अधिकाधिक क्षति पहुंचाना और अपने राजा या सेनापति को सुरक्षित रखना। सर्वाधिक नुकसान भी इस अग्रिम दस्ते का ही होता है और वीरगति भी इन्ही की ज्यादा होती है।

आज के भारत के परिप्रेक्ष्य में समझे तो साम्प्रदायिक दंगे, प्राकृतिक आपदा या युद्ध में सर्वाधिक हानि किनकी होती है। सड़क के किनारे या कच्ची बस्तियों में रहने वाले गरीब मजदूर वर्ग की। कभी सुना है की भूकंप में, बाढ़ में, या साम्प्रदायिक दंगे में नेताओ या धनाढ्य लोगो के परिवार तबाह हुए हो। भाई ऐसे परिवारों के बच्चे तो सेना में भी कहाँ भर्ती होते है। आज हरावल दस्ते में सिर्फ वंचित और शोषित गरीब लोग ही होते हैं लिहाजा दंगे में, बाढ़ में, आतंकवादी हमले में या युद्ध में यही दस्ता सबसे ज्यादा मार झेलता है। सरकार और नेता सारे कार्यक्रम, योजनाएं, घोषणाएं इसी वर्ग के उत्थान के लिए करते हैं लेकिन उत्थान किसका होता है स्विस बैंक और नेताओ की सम्पत्ति के आंकड़ो से समझ आ सकता है।
यह कैसे संभव है की आप ७०/७५ साल से जिस गरीब के उत्थान के लिए प्रयत्न कर रहे हो वो और गरीब, और लाचार और निरीह होता गया। मसलन की जिस पेड़ को आप ७५ साल से खाद, पानी, हवा, सुरक्षा देते रहे वो सूख के मृतप्राय हो गया। निश्चित रूप से योजनाओ और प्रयत्नों की दिशा ठीक नही है। वर्ना मुम्बई से दिल्ली चला व्यक्ति चाहे देर से ही सही पहुंचता तो जरूर अगर दिशा सही होती।
नेता लोग इस वर्ग को आरक्षण, धर्म, जाती, सब्सिडी, मुफ्तखोरी की अफीम खिला खिला के होश में आने ही नही देते क्योंकि वो जानते है जिस दिन ये वर्ग अपने साथ हुए अन्याय को समझ जाएगा समाज एक अप्रत्याशित रक्तरंजित क्रांति देख सकता है जिसकी कल्पना किसी ने नही की और इतिहास में भी इसका कोई उदाहरण नही है।
क्या वक्त रहते इस समस्या पे हम सब विचार करेंगे या समाचार चैनल पे फालतू की नूराकुश्ती ही करते और देखते रहेंगे ??? !!!!!

परिचय :- संजय डुंगरपुरिया
निवासी : मनीनगर, अहमदाबाद (गुजरात)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *