Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तृण धरी ओट कहती वैदेही

संजय डुंगरपुरिया
अहमदाबाद (गुजरात)
********************

तृन धरि ओट कहति बैदेही।
सुमिरि अवधपति परम सनेही।।

सुंदरकांड में यह दोहा सुन-सुनकर बड़े हुए मेरे जैसे पुरातनपंथी लोगो को आज की महिलाओं को ऐसे वस्त्रो में देख के अजीब लगता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता अपनी मर्जी के जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता स्वतंत्रता के अर्थ ये हैं क्या !!!
इन अल्पवसना नारियों को हम लोग शायद रावण लगते होंगे। आप ऐसे वस्त्र पहने जो छुपाते कम और दिखाते ज्यादा हो तो आपकी स्वतंत्रता है। लेकिन अगर कोई मनचला टिप्पणी करदे तो बवाल काटेंगे। पर्दा प्रथा के विरोधी होने का मतलब ये तो नही की बिल्कुल बेपर्दा हो जाये। सीता जी रावण से तिनके की ओट धर के बात करती थी। आज की नारी …….
मुझे आज ऐसे देवर की तलाश है …..

लक्ष्मण उवाच-
नाहं जानामि केयूरे, नाहं जानामि कुण्डले।
नूपुरे त्वभिजानामि नित्यं पादाभिवन्दनात्।।
अर्थात हे प्रभु मैं देवी सीता के न तो बाजूबंद को जानता हूं, न उनके कुंडल पहचानता हूं। मैं तो देवी सीता के पैरों की वंदना करता हूं इसलिए मेरी दृष्टि हमेशा उनके चरणों रहती है इसलिए मैं केवल उनके चरणों में रहने वाले पायलों को पहचानता हूँ।
हम उस पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जो फ़िल्म में नायिका की बारिश में बदन से चिपकी साड़ी देख के अश-अश करने लगते थे वहीं आज की फिल्मों में डायरेक्टर परेशान है अब क्या दिखाऊ सब कुछ तो दिखा दिया। अगर ऋषि पाराशर वाली शक्ति आज के युवा में आ जाये तो भारी जनसंख्या विस्फोट का डर है। इसलिए उचित होगा कि युवक युवतियां सार्वजनिक स्थानों पे अनुकूल वस्त्र धारण करे और बढ़ते यौन अपराधों में कमी लाने में सहयोग करे।

परिचय :- संजय डुंगरपुरिया
निवासी : मनीनगर, अहमदाबाद (गुजरात)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *