Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

“स्त्री : नर की जीवनधारा”

राम बहादुर शर्मा “राम”
बारा दीक्षित, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश)
********************

महिला अबला का पर्याय
पर शक्तिरूप अभिव्यक्ति है
म मनुष्य का प्रथमाक्षर
म से ही मनुज उतपत्ति है
हि मे हिमालय सा हिय विराट
ममता वात्सल्य और भक्ति है
ला है लाखो स्वरूप का द्योतक
यह एक रूप में स्त्री है
यह जननी है, यह भगिनी है.
पत्नी, पुत्री, और प्रेयसी है।
है नमन आज शत बार उसे
जो हर मानव की शक्ति है

जब मैं एक पिंड अजन्मा था
नव मास कोख में ढोया था
जब जन्म लिया तब प्रथमबार
जिस पावन कुक्षि में रोया था
वह पीड़ा में भी मुसकायी
ममता परिपूर्ण आहलादित थी
वह जननी भी एक महिला थी
वात्सल्य पूर्ण आच्छादित थी

बचपन में खेला जिसके संग
जिसने लाड़-दूलार दिया
अपने से बढकर जिसने मुझको
चाहा, पुचकारा, प्यार किया ।
वह भगिनी थी जिसके हिस्से का भी
प्यार मुझे भरपूर मिला
वह भी तो एक महिला थी
छोड़ा अधिकार न किया गिला

जब यौवन ने अंगड़ाई ली
कोमल भाव उठे मन में
प्रेयसी बन एक महिला आई
भर दी उमंग नव जीवन में ।
प्रेम किया आनन्द बिखेरा
जीवन को था महकाया
मधुप-मधु के मधुर मिलन का
मधुर भाव मन में आया

जब पारिवारिक बोझ पड़ा
तब भी हाथ धरा उसने
पत्नी बन संग कदम बढ़ाये
सुख दुख बाँटा एक महिला ने
मुझको पुरुष सम्पूर्ण बनाया
पिता बना संग पा उसका
कष्ट सहे सब स्वयं उसी ने
उपहार दिया मुझे संतति का

संतानों में सबसे प्यारी
मेरे आँगन की किलकारी है
पिता की करती चिंता हरपल
मेरी जो राजकुमारी है
मेरे मन की जो सुकुन
आँखो की मेरी नींदिया है
वह महिला कोई और नही
मेरे हृदय का टुकड़ा बिटिया है

जीवन की संध्या बेला में
सब भार जो सिर पे उठाती है
सेवा-सुश्रुषा है करती वह
जननी का दायित्व निभाती है
वह भी महिला कोई और नहीं
वह पुत्रबधू बेटी जैसी
घर में होता है स्वर्गिक सुख
आदर्श बहू हो जब ऐसी

ऐसे ही अनगिनत स्वरूप
एक महिला ने जब धारे हैं
सच है यह भी तभी उसी ने
मानव जीवन “राम” सँवारे हैं
यह तो बस कुछ उदाहरण हैं
सब कुछ न इसमें समाया है
पारिवारिक रिश्तों से आगे भी
इनके, बलिदानों का साया है

यह अन्नपूर्णा, यह त्यागमयी
ममता वात्सल्य की मूर्ती है
जीवन के नीरस मरुभूमि में
आनन्दमयी भागीरथी है
दया प्रेम धैर्य करुणा
शील, क्षमा से पोषित है
मृदु वचन तरंगित स्वरलहरी से
यह देवी आभूषित है

है विराट व्यक्तित्व, चरित्र जब
कर्ता नहीं समझ पाया
तब समर्थ हो कैसे सकती
मानव मति यह लघु काया
अतएव ऋणी नर महिलाओं का
बिनु जिनके सब नीरस भाई
कोटि नमन इन त्यागमयी को
महिला दिन की इन्हें बधाई ।।

परिचय :- राम बहादुर शर्मा “राम”
व्यवसाय : शिक्षण कार्य
पद
: प्रधानाध्यापक 
कार्यस्थल :
 केन्द्रीय विद्यालय रायबरेली, (उत्तर प्रदेश)
निवासी :
ग्राम बारा दीक्षित, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा :
बी.एस-सी (जीवविज्ञान), बी.एड., एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा
 पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *