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चलो आओ जरा अपने मन में झाक आएं

प्रतिभा दुबे
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

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हर दिवस ही हम
नारी दिवस मनाएं
चलो आओ जरा
अपने मन में झाक आएं।।

सुबह चुपचाप उठ जाती,
हर स्त्री चाय बना,
बाद मैं ही सबको जगाती।।

खाना जतन से बनाती,
खुद पीछे भोजन करती
पहिले सबको खिलाती।।

काम सभी के अपने जिम्मे,
जिमेदारी से अपने हाथ से
हर सामान को पकड़ाती।।

कही कोई गड़बड़ न हो,
इसलिए अनुशासन बनाती,
वो घर को स्वर्ग बनाती।।

जब कभी विपादये आए तो,
वो शक्ति स्वरूप में आती,
सबका मनोबल सदैव बढ़ाती।।

न समझो तुम
अबला सबला रूपी
वे सृजन करता हैं सृष्टि की,
वही जीवन भी सजाती ।।

हंसकर महिला दिवस मनाओ,
कभी किसी वृद्ध महिला से
भी उसका हाल पूछ आओ।।

परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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