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बदनाम गली

रवि कुमार
बोकारो, (झारखण्ड)
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मैने अक्सर उन गलियों में
जिंदगी को सिसकते देखा है.
हंसते चेहरों में बेबश और
परेशान इंसान भी देखा है।
हम जैसे ही है सब वहां
कोई फर्क नही है उनमें।।

मैने उन बदनाम गलियों में
भी कुछ पाक इंसान देखा है
जीने की कोई वजह
नहीं वहां किसी में,
चंद पैसों में जिस्म
नीलाम करते देखा है।

तुमने सिर्फ जिस्म देखा उनका
उनमें बैठा इंसान कहा देखा है
मैने उन बदनाम गलियों में भी
कुछ पाक इंसान देखा है

जाती धर्म का
जरा भी खेद नही
हर मज़हब के लोग
आते वहां देखा है।

उनके भी है कई
ख्वाब अधूरे उमंगों का
शैलाब भी उनमें देखा है
सबने सिर्फ बदन नोचा है उनका
क्या कभी उनका दिल भी देखा है

मैने उन बदनाम गलियों में
भी कुछ पाक इंसान देखा है।।

परिचय : रवि कुमार
निवासी – नावाड़ीह, बोकारो, (झारखण्ड)
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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