अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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फागुन की हर घड़ी,
रंगीला एहसास दे जाती।
शीत भय को हर लेती,
मोहक बहारें वसन्त की।
टेसू के फूलों की,
सरसों की पीली चूनरी
ओढ़े धरा गौरी प्यारी सी।
उमंग उल्लास से भरी
फागुनी बयार बौराई सी।
पतझर के बाद सजती,
ये शाखाएं नव कोंपलों से।
आम्रमंजरी से शोभित होती,
अमराई मन मोह लेती।
डाल पर बैठी कुहू कुहू करती,
कोयल झूमने लगती।
ऐसे फागुनी बयार खुशी की,
दस्तक दे जाती,
पुराने किस्सों को ताजा कर देती।
लगी मस्ती की पाठशाला,
चहुंओर गूंज उठी,
फागुनी गीतों की ध्वनि ।
ऐसे फागुन की हर घड़ी,
रंगीला एहसास दे जाती।
परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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