विजय गुप्ता “मुन्ना”
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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(घनाक्षरी)
बाबा विश्वनाथ घर, नशेड़ी उपाधि देता,
काशी धरा से बोलता, अधेड़ कुंआरा है।
सनातन असर तौल, भड़का जहर खौल,
भड़ास ही निकालने, कुआंरे का नारा है।
गालियां नहीं एक को, रूष्ट युवा ये सोचते,
युवा पीढ़ी समस्त को, गालियां सौगात दी।
यू एस ए युवा गुहार, लोकतंत्र बेअसर,
चुनाव परिणाम से, पाएगा आघात ही।
विचार धारा डमरू, बजाकर जो रूबरू,
अर्जी लगे दरबार, युवा शक्ति का जोश है।
जैसा जहां जो जमता, वो वैसा वहां कहता,
व्यर्थ झाड़े तुगलकी, अहंकारी दोष है।
चलो इसी बात पर, चार वर्ग जानकर,
सेवा धर्म मानकर, अधर्म को ही टा टा।
लटका अटका और, भूला भटका भाई भी,
नेता प्रेमी छात्र पाते, निल बटे सन्नाटा।
परिचय :- विजय कुमार गुप्ता “मुन्ना”
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़
उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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