Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तुम ब्रह्मज्योति हो

हंसराज गुप्ता
जयपुर (राजस्थान)

********************

मैं सूखा पत्ता हूँ, पतझड़ का,
तुम नये बसंत का नया कँवल,
मेरा परिचय खोने वाला है,
तुम बीजांकुर जड पौध नवल,
मैं सुर्ख तना, अब त्यक्तमना,
तुम मधु मधुकर शुक पिक अरू फल,
मैं आज शाम का ढलता सूरज,
तुम ऊषा भोर अरुणोदय कल,
मैं उलझी समस्या, बुझता दीपक,
तुम ब्रह्म-ज्योति हो, सबका हल,
मेरा जीवन, मैली चादर,
तुम अमृत, निर्झर का पावन जल,
हाथ पकडकर चढ़े शिखर,
तुम छांँव बनाओ, ठाँव सफल,
अंधक्षितिज, मैं पथिक त्राण का,
तुम पथ, ज्योति, किरणें उज्ज्वल,
मैं प्रतिबिंब, बिखरती, जर्जर कृति,
तुम अनुपम आभा बलराम संबल,
मैं ठहरा नीर, पीर हूँ गहरी,
तुम प्रबल प्रवाह शिव सत्य अटल,
मैं आतुर व्याकुल नम सिकताकण,
तुम्हें पाना हिम के शिखर धवल,
चट्टानें टूटी, अनुनादों से,
दीपक-राग रतन ठुमरी है,
उर में कितने तिमिर समेटे,
तब मोहन मूरत उभरी है,
मेरी राख से भस्म आरती,
तुम आर्त हृदय का पूजा-फल हो,
पिघलता हुआ हिमखंड प्रचंड मैं,
तुम फसल सींचता, मीठा जल हो,
ग्रह नक्षत्रों की दुनिया में,
होगा मेरा ठौर ठिकाना,
रात को नभ में देखा करना,
मद्धिम मद्धिम मोहक मुस्काना,
पथ उजला है, लक्ष्य सरल है,
चलने का क्यों जोश नहीं है?
तन मन हल्का, बोझ नहीं अब,
करना क्या, संतोष नहीं है,
मूरत गढने वाले पागल को,
होता कुछ भी होश नहीं है,
दर्द सहा पत्थर ने कितना,
किंचित उसका दोष नहीं है,
कृष्ण अर्जुन संवाद याद करे,
कान्हा का अनुरागी जो,
तरास दिया पैनी छैनी से,
आज पाप का भागी वो?
वीरान यह जीवन खालीपन है,
आशायें फिर भी होती हैं,
तेरे सुख सपने प्रेमभाव में,
आँखें भी रोकर सोती हैं.
जीते जी यदि याद करो तो,
बच्चों से मिलवा देना,
मर जायें तो श्राद्धपक्ष में,
बस ब्रह्मभोग करवा देना,
जिस आंगन में हम रहते थे,
वहाँ दीपक एक जला देना,
हमको एक आवाज लगाकर,
कव्वों को भोज खिला देना।

परिचय :-  हंसराज गुप्ता, लेखाधिकारी, जयपुर
निवासी : अजीतगढ़ (सीकर) राजस्थान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *