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गणपति

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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वक्रतुंड गणपति सतत, मंगलकारी नाथ।
लंबोदर गजमुख सदा, मोदक प्रिय है हाथ।।

शंकर पुत्र गणेश हैं, गौरी सुत प्रथमेश।
कार्तिकेय के भव अनुज, दयावान रूपेश।।

भालचंद्र गज शीश है, सुखदायक गुणवंत।
हरें सभी के दुख सदा, एकदंत भगवंत।।

क्षेमंकर गजकर्ण हैं, करते सब यशगान।
ऋद्घि सिद्घि देते सदा, धूम्रवर्ण भगवान।।

बुद्धिनाथ हैं गज-वदन, रक्षक दिव्य गणेश।
शाम्भव हो योगाधिपति, धवल रूप हृदयेश।।

गणपति बप्पा मोरया, शुभकारी है रूप।
सुख दायक धर्मेश हैं, महिमा नाथ अनूप।।

विघ्नविनाशक सब कहें, करते भक्त प्रणाम।
सकल लोक है पूजता, निसदिन आठों याम।।

विद्या वारिधि हो अमित, मूषक पीठ विराज।
करो कृपा हे रुद्रप्रिय, आओ घर में आज।।

सर्वात्मन हेरम्ब हो, तुम गणराज कवीश।
यज्ञकाय प्रभु भीम हो, शंभु सुवन अवनीश।।

वंदन करो गणेश का, अंतर्मन से ठान।
कृपा दृष्टि करना सदा, गणपति दया निधान।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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