सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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वसंत पंचमी माघ
मास की शुक्ल पक्ष की
पंचमी तिथि को मनाया जाता है,
ज्ञान की देवी सरस्वती
और धन की देवी लक्ष्मी का
अवतरण दिवस भी
वसंत पंचमी को हुआ था,
इस दिन ज्ञान की देवी
माता सरस्वती का
कलश स्थापन कर पूजन,
आरती किया जाता है,
वसंत पंचमी पर
वाणी की अधिष्ठात्री देवी
माता सरस्वती की पूजा,
प्रार्थना का विशेष महत्व है।
शास्त्रानुसार वाग्देवी सरस्वती
ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु
और देवताओं की प्रतिनिधि
विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी
अमित तेजस्विनी
और अनंत गुण शालिनी हैं,
माता सरस्वती की
पूजा आराधना के लिए
माघ मास की पंचमी तिथि निर्धारित है,
माता के रहस्योद्घाटन का दिन भी
वसंत पंचमी को ही माना जाता है।
ये दिवस सरस्वती जयंती
के रूप में भी मनाया जाता है,
माता सरस्वती को
वागेश्वरी, भगवती, शारदा,
वीणावादिनी, वाग्देवी
आदि नामों से भी जाना जाता है
संगीत की देवी के
रूप में भी इन्हें पूजा जाता है।
पुराणों में आज के दिन
ज्ञान और बुद्धि देने वाली
माता सरस्वती की
पूजा, उपासना के साथ
नए, शुभ कार्यों और
गृह प्रवेश के लिए भी
अत्यंत शुभ माना जाता है,
वैसे भी माघ मास का अपना
धार्मिक और
आध्यात्मिक महत्व भी है,
क्योंकि वसंत पंचमी पर
शादी का अबूझ मुहूर्त
भी बहुत खास होता है।
और सबको पता है कि
बसंत पंचमी, बसंत ऋतु और
सरस्वती पूजा के साथ तीर्थ क्षेत्र में
स्नान दान का शुभ अवसर भी
माघ मास में ही आता है,
परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
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