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मनभावन ऋतु है बसन्त

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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बसन्त ऋतु का मौसम है कितना सुनहरा
जिधर देखो दिखे प्रकृति का रूप सुनहरा
सुहावना प्यारा मौसम खिलता हरा भरा
अनुपम मनोरम दिखे नजारा हरा भरा
वृक्ष होतेहरेभरे चढ़े लता रँगभरे फूल पत्ते
प्रकृति का मनवभावन खिलता नजारा
प्रकृति पर अनोखी चढ़ती है लालिमा
नया नया रूप सुनहरा वादियों में मनोरमा
जब आता है ऋतुओं का महीना फागुन
उत्साह ऊर्जा यौवन ऋतु बसन्त की धुन
खिलखिलाती है प्रकृति, महकता है मन
मनमोहकता मस्ती में रहता ऋतु बसन्त
चढ़ाता है प्रकृति में अपरिसीम उमंग तरंग
कुदरत की फैलती हर कोने में खुशबू
खुशियों की बहार में उमंग तरंग संग
करती है बसन्त ऋतु मन ह्रदय प्रसन्न
बसन्तपँचमी का आये शुभ मंगल दिन
बीणापाणी के साधक करते आराधना
मांशारदे तनमन से करते पूजा और वंदन
सरस्वती पूजा में साहित्य सँगीत साधक
लगाते ध्यान करते विनती दे दो मां ज्ञान
वसंतऋतु आगमन पर अज्ञान मिटाकर
भर दो अंतर्मन में विद्या बुद्धि ज्ञान
विदा करते है शीत कम होती है ठंड
हल्की गर्मी अहसास में बसन्त ऋतु संग
बसन्त पँचमी से रँगपंचमी का भरते रंग
श्रद्धा भक्ति समन्वय की शक्ति भरते हम
हर्षोल्लास में हम में। फुले नहीं समाते
वसंत पंचमी से फागुन की होली तक
रंग बिरंगी दुनिया में मस्त होते रहते हम
कहीं पतंग उड़ाते कहीं बनाते पकवान
बसन्त ऋतु के शुभ दिन सेअलग-अलग
तौर तरीके से मनाते फिर भी एक होते
बसन्त पँचमी के उत्सव में लीन हो जाते
बसन्त पँचमी के विशेष महत्व का संदेश
अपने जीवन में मिलकर मधुरिम बनाते
मिलकर बसन्तोत्सव की फैलाते धुन
कितना सुहावना है बसन्त सबको बताते

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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