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आगे बसंत

डोमेन्द्र नेताम (डोमू)
डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़)
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पियर-पियर सरसो फूले, पियर उड़े पतंग,
पियर पगड़ी पहिर के, आगे ऋतु राज बसंत।

अमरय्या मा आमा मयुरे कारी, कोयली कुहुकत हे,
लाली-पियुरी परसा फूले, सबों के मन हा पुलकत हे।

सरर-सरर चले पुरवाही, मन मयुर झूमें नाचे,
फागुन के फाग संग, सुग्घर डोल नगारा बाजे।

पातर-कवर गांव के गोरी, झुले कान के बाली,
मया-पिरीत के बांधे, डोरी हंसी अऊ ठिठोली।

मन भावन उत्साह, अऊ उमंग ज्ञानी, गुनी ,संत,
मन मा खुशी गजब, सुग्घर लागे आगे बसंत।

कतिक करव बखान, तोर हे ऋतु राज बसंत,
तोर महीमा ल बताइन, दिनकर, वर्मा अऊ पंत।

परिचय :-  डोमेन्द्र नेताम (डोमू)
निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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