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संवादहीन जो …

शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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संवादहीन जो मौन खड़ा है
अंधियारे में ये कौन खड़ा है
आकुल प्रश्न ये बहुत बड़ा है
ये सत्य, जो स्वीकार नहीं है
मत सोच ये तेरी हार नहीं है
प्रयास रहे तो स्वर्ग धरा है
पाप पुण्य का लेखा जोखा
करो तुझको है किसने रोका
तपे वही जो स्वर्ण खरा है
पीड़ा का परिसीमन क्या है
जीवन क्या है, मरण क्या है
समयचक्र में सभी पड़ा है
मृत्यु द्वार पर जीवन नाचे
पाप पुण्य के किस्से बाँचे
युग युग की यही परंपरा है
विकट प्रश्न ये बहुत बड़ा है

परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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