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अयोध्या से अयोध्याधाम

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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आज जब अयोध्या में
राममंदिर का
भव्य निर्माण और प्राण
प्रतिष्ठा का इंतजाम हो रहा है,
तब अयोध्या के चहुंमुखी
विकास का कार्य भी
बड़े जोर शोर से आगे बढ़ रहा है।
आज अयोध्या को
दुनिया में अपनी गरिमा,
उचित पहचान, स्थायित्व
और सम्मान प्राप्त हो रहा है,
राम और मंदिर-मस्जिद
विवाद से कल तक
अयोध्या जानी
पहचानी जाती थी,
आज अयोध्या राम,
भव्य राम मंदिर और
चहुँमुखी विकास से
पहचानी जाने लगी है,
राम जी के विग्रह की अब जब
प्राण प्रतिष्ठा की
तैयारियां चल रही है।
कोई माने या माने
दुनिया तो मान रही है
अयोध्या अब सिर्फ
राममंदिर से नहीं
अयोध्याधाम बन
खूब इतराने लगी है।
देश ही नहीं दुनिया भर में
अब अयोध्याधाम
अपनी चर्चा हर रोज
हर पल कराने लगी है,
बिना किसी घोषणा के ही
अब तक की अयोध्या
अयोध्याधाम बन
राम जी की ये नगरिया
सांस्कृतिक धार्मिक
राजधानी के रूप में
बड़े गर्व से जानी
पहचानी जाने लगी है,
अयोध्या से
अयोध्याधाम तक की यात्रा
आज सबकी जुबां पर
बड़े गर्व से आने लगी है।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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