अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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सारे जग में सर्वश्रेष्ठ हैं,
वैदिक परंपरायें।
हम ऋषि-मुनियों की संताने,
मिलकर सब अपनायें।
वैदिक धर्म सकल दुनिया में,
परम पुरातन भाई।
पावनता लख इसकी महिमा,
वेदों ने भी गाई।
भारत,आर्यावर्त इसी का,
वैदिक नाम पुराना।
वैदिक धर्म, सनातन को भी,
सारे जग ने माना।
कालखंड,भारतीय संस्कृति का,
ही वैदिक कहलाता।
वैदिक ज्ञान,सभ्यता वैदिक,
सकल जगत अपनाता।
भारतीय वैदिक संस्कृति को,
दुनिया ने अपनाया।
इसे मानने वालों ने ही,
सुख मय जीवन पाया।
वैदिक रीति-रिवाज, हमारे,
सकल जगत ने जाने।
है नैतिक दायित्व हमारा,
हम भी इनको माने।
वैदिक ज्ञान सदा जीवन को,
उन्नति पथ ले जाता।
जिसमें वैदिक ज्ञान भरा वो,
मान जगत में पाता।
वैदिक परंपरायें हमको,
उत्तम राह दिखातीं।
स्वाभिमान से जियें जिंदगी,
सबको यही सिखातीं।
वैदिक में विज्ञान समाया,
सारे जग ने जाना।
तथा कथित कुछ आधुनिकों ने,
मगर न इसको माना।
सर्वश्रेष्ठ संस्कृति आर्यों की,
हम इसको अपनायें।
वैदिक ज्ञान भरें अंतस में,
हम वैदिक कहलायें।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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