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नववर्ष के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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नया हौसला धारकर, कर लें नया धमाल।
अभिनंदित करना हमें, सचमुच में नव काल।।

नवल चेतना संग ले, करें अग्र प्रस्थान।
होगा आने वाला वर्ष तब, सचमुच में आसान।।

वंदन करने आ रहा, एक नया दिनमान।
कर्म नया,संकल्प नव, गढ़ लें नया विधान।।

बीती बातें भूलकर, आगे बढ़ लें मीत।
तभी हमारी ज़िन्दगी, पाएगी नव जीत।।

कटुताएँ सब भूलकर, गायें मधुरिम गीत।
तब सब कुछ मंगलमयी, होगा सुखद प्रतीत।।

देती हमको अब हवा, एक नया पैग़ाम।
पाना हमको आज तो, कुछ चोखे आयाम।।

कितना उजला हो गया, देखो तो दिन आज।
है मौसम भी तो नया, बजता है नव साज़।।

पायें मंज़िल आज तो, कर हर दूर विषाद।
नहीं करें हम वक़्त से, बिरथा में फरियाद।।

साहस से हम लें खिला, काँटों में भी फूल।
दुख पहले सुख बाद में, यही सत्य का मूल।।

अभिनंदित हो वर्ष नव, बिखरायें उल्लास।
कभी न भाई मंद हो, पलने वाली आस।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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