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हिमाचल गान

डॉ. राजीव डोगरा “विमल”
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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उच्च हिमालय बहती नदियां
कल कल करती
झरनों की आवाजें
फैली हरियाली, सुगंधित सुमन
महके समीर, बहकी कलियाँ
ऐसी गोद हिमाचल की
जय-जय-जय हिमाचल की।

ऊंचे वृक्ष, नीची नदियां
कर्कश करती चट्टानें
चहकते पक्षी, महकती फसलें
सरसराहट करता पानी
गरजते बादल, बसरते घन
ऐसी गोद हिमाचल की
जय-जय-जय हिमाचल की।

बाल ग्वाल, लाल गाल
मदमस्त धूप, अनंत गगन
मीठी बातें, ठंडी रातें
धौलाधार की श्रंखलाएँ
देवों की भूमि, सनातन की आन
ऐसी गोद हिमाचल की
जय-जय-जय हिमाचल की।

परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा “विमल”
निवासी – कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति – भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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