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तो मत पूजो कन्या

राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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हम उस देश के बाशिंदे हैं
जहां औरतों को देवी कहा जाता है,
पर उन्हीं औरतों द्वारा इसी देश में
सबसे ज्यादा अत्याचार सहा जाता है,
घर में, परिवार में, समाज में,
कार्यक्षेत्र में, हर जगह
उनका शोषण किया जाता है,
उनकी विश्वनीयता का
बार-बार परीक्षण लिया जाता है,
मनहूसियत का तमगा,
हर बात पर ताना,
साथ में दोगलापन इतना
आराध्य मान गा रहे गाना,
दहेज के नाम पर जहर,
क्या गांव क्या शहर,
सिर्फ कहर हो कहर,
ऊपर से कन्या पूजन का ढोंग,
छेड़छाड़, बलात्कार का दंश,
क्षण क्षण सम्मान का विध्वंस,
समाज किधर जा रहा,
पुरूषत्व सोच तड़पा रहा,
ये सब सहकर भी दे रही सुकून,
मां के रूप में,
पत्नि के रूप में,
बेटी के रूप में,
थेथरई लिए हुए हम
इतने स्वार्थी क्यों?
मूढ़ों कल्पना क्यों नहीं करते
उनके बिना अपने होने का,
गर यही है मंशा
उन्हें रखना है अजन्मा,
तो मत पूजो कन्या,
तो मत पूजो कन्या।

परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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