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दिल बिखर जाता है

सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)

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गम कभी मेरे यहां तुम
गर जरा पहचान लो।
है मुझे तकलीफ अब
कितनी कभी तुम जान लो।।

दिल बिखर जाता है मेरा
टूट कर जोड़ो इसे।
पर कभी हारा नहीं यह
देख इसका ज्ञान लो।

आस छूटी है दिखा दे
रोशनी की अब प्यार से।
उलझनें ही है निशानी
प्रेम की बस मान लो।।

जिंदगी की कशमकश
ने भी मुझे जकड़ा यहां।
फिर रही मारी हुई सी
अब जरा संज्ञान लो।।

दर्द दिखता है सभी को
तुम भला क्यों नासमझ हो।
आज फिर से तुम यहां पर
प्रेम का ही दान लो।।

हो रही बेचैनियां है अब
फिर मिला लो नैन तुम।
अब कहो अपनी भलाई
है इसी में ठान लो।।

मान जाओ बात मेरी
कह रही सीमा तुझे।
हम बने हैं एक दूजे
के लिए ही मान लो।

परिचय :-  सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी :  जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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