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रिस्क से इश्क

शांता पारेख
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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इश्क कई तरह के होते है, किसी से भी किया जा सकता है। मगर दुनिया मे सबसे चर्चित इश्क वह है जो रिस्क से होता है। जो जब तब रिस्क लेता रहता है दुनिया उसको दीदे फाड़ के देखती है। रतन टाटा बंगाल में नैनो का तंबू गाड़ चुके थे, ममता जी अड़ गई, फिर टाटा का ही कलेजा था जो गुजरात मे चले गए। सारा तंबू उखाड़ कर रातों रात शिफ्ट होना उनके ही बूते की बात है। पूरा देश चकित था, क्या होगा हुआ यथासमय गाड़ी आई बिकी भी सफल भी हुई, गरीब की गाड़ी फिर रीविजन भी हुआ फिर मॉडिफिकेशन हुआ फिर चल पड़ी। ऐसी ही रिस्क मोदी जी ने ली, दुश्मन के घर मे घुस कर मार के आना बिना एक भी जान का नुकसान किये। इंदिराजी हार गई, चुप बैठी, फिर तैयारी से हुंकार भरी फिर प्रचंड बहुमत से ताज पहन लिया। इंदिरा जी जो भी थी, कठोर निर्णय तो लेती ही थी। बंगला देश को झुका देना, कितनी रिस्क थी पर मानेकशॉ के भरोसे ली व विजयी भी हुई इतिहास ऐसे लोगो प्यार करता है। अटलजी ने तेरह दिन की सरकार गिरने दी खरीद फरोख्त नही की, इसलिये उनको याद किया जाता है। नही तो सत्ता से प्यार कौन नही करता है। जिमकॉर्बेट नरभक्षी सिंह से आंखे मिलाते थे। एक बार तो घायल शेर ने उन पर छलांग लगा ही दी थी, खूंखार हो चुका था। राणा प्रताप कितनी बड़ी करीब दस गुना सेना से भिड़े भी जीते भी, ये अलग माटी के बने लोग है। आत्मविश्वास से लबरेज धुन के पक्के, इश्क जिस्मानी ही नही रिस्क से हो तो दर्शक को आकलन करने में भी गौरव की अनुभूति होती है। हारती हुई टीम नए ढंग से वार करती है। पिट जाय तो सब मायूस होते, धोनी के घर के नीचे धरना नारे बाज़ी की थी। जीत के आया तो बम्बई की सड़कों पर क्या शानदार जूलस निकाला था। रामलीला में कलाकार अचानक बीमार हो जाता है नए को स्टेज पे धक्का दे देते कितना रिस्क ले लेते है। बाद में वह कलाकार बॉलीवुड में जम जाता तो पहले अभिनय की बात चटखारे ले के बताता है। जो पहली बार पैराशूट से कूदा, जीवट चाहिए होता है रिस्क से इश्क करने के लिए। वही अमर भी पूजनीय भी और आइकॉन भी।

परिचय : शांता पारेख
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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