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सूर्य का अक्षय भंडार

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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विश्व की सभी समस्याओं का समाधान किसमे हो सकता है?

यदि इस प्रश्न का उत्तर खोजें तो पता चलेगा, अनादि, आदि, अविनाशी, सूर्य की असीम शक्ति इनका निराकरण सहज करती है। सूर्य के पास ज्ञान, तेज, अद्भुत शक्ति का अक्षय स्त्रोत है। सूर्य दर्शन, सूर्य नमस्कार, सूर्य अर्घ्य, सूर्य पूजा सभी भारतीय संस्कृति में महत्व रखते हैं। तात्पर्य चमकता हुआ अप्रतिम सूर्य सौन्दर्य की खान तथा उत्साह, विकास, आशा का प्रतीक है।

सम्पूर्ण सृष्टि पर निरन्तर कर्मनिष्ठ गतिशील सूर्य प्राणी जगत के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। यदि हमें सूर्य का प्रकाश कम मिले तो आलस्य सुस्ती तथा शारीरिक व्याधी में वृध्दि हो जाती है। सूर्य का सभी सभ्यताओं तथा मानव प्राणी के साथ सीधा संबंध रहा है। क्यों कि सूर्य अपना कार्य सभी के कल्याणार्थ सम्पन्न करता है।

देश के अनेक पर्व भी सूर्य से संबंधित है।जैसे मकर संक्रांति,छठ पूजा,पोंगल आदि । कहीं कहीं तो सूर्य के भव्य प्राचीन मंदिर है।‍‍विदेश में भी सूर्य आराधना अपनी संस्कृति के अनुकूल उगते सूर्य से लेकर अस्ताचल तक उसके भिन्न रुपों से विशेष ऊर्जा प्राप्त करने का कर्म चलता है। वर्तमान समय में पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है । मानव जाति के अस्तित्व को भी खतरा है। ऐसे समय सूर्य से प्राप्त सोलर एनर्जी ही सही उपाय सिद्ध हो सकती है। बहुत सी समस्याएं तो सूर्य उदय के साथ ही समाप्त हो जाती है। सूर्य ऊर्जा का अधिक से अधिक एकत्रिकरण ज़रूरी है।

हर इंसान सोता है तब इसी उम्मीद से कि कल सूर्योदय होगा हम इतने कार्य पूरे कर लेंगे। कारण सूर्य के प्रकाश से ही इंसान के शरीर का गहरा संबंध है। इसीलिए प्रातः उठते ही सूर्य नमस्कार से दिन का प्रारम्भ करना शुभ माना जाता है। विज्ञान उत्तम उत्तम व्यवस्था के साथ सूर्य शक्ति को चिरकाल तक पकड़ने की कोशिश में है लेकिन सूर्य अपने आप में परम अग्नि पिंड है। सर्वोच्च स्थान पर विराजित सूर्य सम्पूर्ण प्राणी जगत का पोषक है। सूर्य से संबंधित सभी नियम और व्रत समाज पर भी अच्छा प्रभाव डालते है। तन्मयता के साथ जो सूर्य के प्रति आस्था रखता है उसके लिए सूर्य भी अपना अक्षय भंडार खोलकर रख देता है। सम दृष्टि, समभाव के साथ इंसान को भी सूर्य से अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर लेना चाहिए। इसीलिए आस्था का महापर्व ‘छठ पूजा’ में सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। यह सबसे बड़े त्यौहार के रूप में देखा जाता है। छः दिन तक चलने वाले इस पर्व पर सूर्य पूजा से मान सम्मान प्राप्ति की आशा होती है। हिन्दू धर्म में इसका बहुत महत्व है।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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