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हे राम, हे राम

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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हे राम, हे राम
तुम्हें नमन है बारम्बार,
बारंबार
दाशरथि बन विष्णु आए,
सकल लोक में मंगल छाए
राम बिना नहि उद्धार,
नहि उद्धार
तुम्हें नमन है बारंबार,
बारम्बार।।

तुम्हें नमन है बारंबार,
परम पिता परमेश्वर नाम
जातुधान से मुक्त कराया,
धरनी हित ´पुरुषोत्तम ´राम
राम करेंगे बेड़ा पार,
बेड़ा पार
तुम्हें नमन है बारंबार,
बारंबार।।

राम न केवल तुम अवतार,
तुम अवतार
अवतरण तुम्हारा है
´दर्शन, हर पहलू का विश्लेषण
तुम्हीं जगत के पालनहार,
पालनहार
तुम्हें नमन है बारंबार,
तुम्हें नमन है बारंबार।।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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