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फिर आई है हिचकी

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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स्त्री हिचकियाँ की सखी
साथ फेरो का संकल्प
दुख-सुख की साथी
एकाकीपन खटकता
परछाई नापता सूरज
पहचान वाली आवाजों में
खोजता मुझे दी जाने वाली
तुम्हारी जानी पहचानी पुकार
आँगन-मोहल्ले में सूना पन
विलाप के स्वर
तस्वीरों में कैद छवि
सदा बहते आंसू
तेज हो जाते
तुम्हारी पुण्यतिथि पर।

दरवाजा बंद करता
खालीपन महसूस
अकेलापन कचोटता मन
बिन तुम्हारे
हवा से उत्पन्न आहटे
देती संदेशा
मै हूँ ना
मृत्यु नाप चुकी रास्ता
अटल सत्य का
किन्तु सात फेरों का संकल्प
सात जन्मों का छोड़ साथ
कर जाता मुझे अकेला
फिर आई है हिचकी
क्या तुम मुझे याद कर रही हो?

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (म.प्र.)
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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