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मानवता की अलख जगाते सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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मनुष्य का जीवन दुख विपदाओं, नाना समस्याओं का संगी है। गौर करें तो उलझनें सुलझाने में अक्सर जटिल रूप धारण करती है, यानि जीवन को अंतहीन समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती है। विवेकपूर्ण निर्णय से सरल जीवन जीने की कला में सुख की कलाएं प्रत्यक्ष होती है। बस आपाधापी जीवन संग्राम में लक्ष्य प्राप्ति हेतु लगन, इसमें बतौर संकल्प व एकाग्रता नितांत जरूरी है। मनुष्य जीवन कठिन सँघर्षरत तो है ही, सरलता, कुशलता से खुशहाली में ढालना एक विशेष कला है इसमें ढालकर व्यक्ति सुख की अनुभूति का अहसास करता है असम के सुविख्यात गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि, साहित्यकार, सुधाकंठ डॉ भूपेन हजारिका में यह विशेषता अक्सर झलकती थी। कठिन डगर में बिन लड़खड़ाये खुशहाली से जीवन बिताये, अपने अंदर छुपी तमाम् कलाओं, प्रतिभाओं को जनमानस के बीच सरलता सादगी जीवन में पारदर्शी किये, उन्हें देख कोई भी अचंभित होता था। कलाओं की मिसाल गढ़ते रचते सुधाकंठ अनेकानेक भाषाओं के गीत रचते गाते। अमर हो गए।
बचपन से वृद्धावस्था तक गीत संगीत की कठिन तपस्या साधना किये, घरेलू माहौल में गीत संगीत व सांस्कृतिक परिवेश से जीवन की आंतरिक खुशहाली मिली, उनको वे सींचे, अंतिम समय तक गीत संगीत की हरियाली राष्ट्रीय से अंतराष्ट्रीय स्तर तक
सफलता अर्जित की। वे समस्त जनमानस में अमिट छाप छोड़ चल बसे। भूपेनदा के कर्म उनके प्रयास अत्यंत ही विरले रहे। गीत संगीत की चर्चाओं की गहन रुचि से भरा था उनका सम्पूर्ण जीवन, केवल उन्हें ही सन्तुष्ट किया ऐसा नहीं, समस्त मानव समाज उनकी अद्भुत कला से संतुष्ट आश्चर्यचकित है। उनकी अनमोल कलाएं सर्वव्यापक विस्तृत समयोपयोगी अमर हुई। उनकी गीत रचना लेखन गायन कलाओं का ढांचा बखूबी अति सुंदरता से फलता फूलता खिलता वटवृक्ष बन गया। उनका भ्रमण जीवन खूब आनंद और खुशहाल मस्त मिजाज, नेक सोच ख्याल में समाजोपयोगी मानवीयता का अद्भुत किस्म का था । कार्यप्रणाली का तौर तरीका करिश्मा लाया।पल-पल अलंकृत शब्दों के भंडार में खोकर सजाया, सँवारा, पिरोया व रचा।
दिल दिमाग में खरी उतरने वाली भाषा व शब्दों की रचनाओँ को लिपिबद्ध करने में उनका योगदान दौरे में भी अति मूल्यवान बनता गया, मानवीय मूल्यांकन करने तजुर्बा अनूठे अंदाज की गहराई में गोता लगाने में तपे, मानव प्रेम की सच्ची अलख जगाना जीवनभर उनका मूल मकसद ही बना रहा। आपदा विपदा संकट समस्याओं आदि से रूबरू होना उन पर पैनी नजरें रखना, समस्त मानव समाज की आपबीती
सच्चाई को जुटाने की कला व क्षमता खूब पैनी रही। वे सुगम से दुर्गम मार्ग से समस्त मानव समाज में घनिष्ठ जुड़ते गए, देश विदेश के भ्रमण से बहुमूल्य ज्ञान अर्जित कर सीख ली, उसे वे जीवनोपयोगी, समाजपयोगी सदुपयोगी कराने में खुलेमन से कार्य को अंजाम दिए। मानवीय ज्ञान, मानवीयता के सूत्र बांटकर सन्तुष्ट रहे, जनमानस के अंतर्मन में उनकी विचारधारा का गहरा असर पड़ा, ह्रदयस्पर्शी विचारदर्शन उनका व्यक्तिगत जीवन अधिक आकर्षक रूप पाया। व्यक्तिगत संघर्षमय जीवन में कलाओं के माध्यम से कष्ट नष्ट ही हुआ, कलाओं को निखराते हिम्मत नहीं हारे, कला ने उनको एक अलग पहचान में ला खड़ा किया। सर्वमंगल कल्याण की कामनाएं करते भावनाएं रखते सार्वजनिक स्तर पर खुशियां प्रत्यक्ष देखना मानो उनका मूल मकसद रखा।
उनके कर्णप्रिय मार्मिक सदाबहार गीतों व रचनाओँ की लेखनी का जादू अत्यंत ही मार्मिक, समर्पित निराला था। अनेकों भाषाओं, संस्कृति, कला से ओतप्रोत जुड़ना और गीत संगीत आदि की रचनाओं में समर्पित भाव दर्शाना उसे अंलकृत शब्दों से वर्णन करना एक जादूगर जैसा गुण हमेशा सफलता पाया। इसमें देखा जाय तो उनकी दुःख दर्द भरी दास्तान की जिंदगी में आत्मिक खुशी गीत संगीत में बसी थी। प्रेम करुणा प्यार की कालीन को विस्तृत फैलाने में वे हमेशा जूझे। उनकी मौलिक रचनाओं में असीमित, अत्यधिक रस और सच्चाई की भाषा, अलंकृत शब्द में प्रकट हुई। मानवीयता के सन्देश भरने की अद्भुत कला के धनी रहे संगीत गीत से वे खुशी बांटने का नशा आजीवन बरकरार छाया रहा, वही कर्मधर्म मान चुके थे। उनके सदाबहार गीतों को सुनकर स्वयं अंदाज लगाया जा सकता है कि लेखन गायन की शैली में उच्च भाव विचार की सुंगन्ध महकती थी। यह सब डॉ. भूपेन हजारिका की मेहनत के बदौलत सम्भव हो सका। सबसे अदुभुत विषय था कि भूपेन हजारिका के जीवन में गीत संगीत से घनिष्ठ जुड़े रहने में उनके प्रिय वाद्य यंत्र हारमोनियम से बढ़कर परम् संगी साथी दूसरा कोई नहीं रहा, आजीवन जीवनसाथी साथ यही साथ निभाया। यानि प्रतिपल समस्त समाज को हारमोनियम के सहारे सुरीले गीतों के माध्यम से आपसी समन्वय सौहार्द, भाईचारे मेल मिलाप आदि को हृदयस्पर्शी शक्तिशाली रूप दिए।

उनकी मधुर गायन शैली सचमुच हमेशा जितनी ह्रदयस्पर्शी रही, यही कारण था कि मानव के ह्र्दयभाव में गीत निरन्तर हृदयस्पर्शी हुए। दुखदर्द से मानव को मुक्त कराना, मानव को खुशहाल बनाना एक आश्चर्जनक यह गुण मानवतावादी विचारधारा का डॉ. भुपेन हजारिका के अंदर बिल्कुल असाधारण सोच कार्य था। उनके जीवन से एक शिक्षा मिलती है कि सबसे घनिष्ठता बढ़ाना, मेलजोल रखना, समानता रखना, भेदभावपूर्ण रहित जीवन बिताना आदि कला में मानव पारंगत हो। अपने विचारों को उच्च स्थान देकर समाज में समानता की सोच लाएँ । उनका समूचा खजाना बेहतरीन तरीके से कई कलाओं से भरपूर अंततः उभरकर सामने आता गया ।कभी भी निराशा या हताशा चेहरे पर प्रकट होने नहीं दिए। उनकी विशेषता थी कि अपनी इच्छाशक्ति, चाहत, लगन, विश्ववास तप त्याग साधना में गहराई तक जाने में चुनोतियाँ का सामना किये। मानवतावादी स्नेह प्रेम प्यार के रसपान में डुबोने का मौका कभी चूक जाए ऐसा अवसर उनके जीवन में शायद ही देखा हो। डॉ. भूपेन हजारिका विस्तृत प्रेम प्यार का रस जहाँ बैठते वहीं त्वरित पिलाते, उनकी मधुर आवाज को सुनने के लिए कोसों दूर तक श्रोता चले आते। मंच पर खड़े एक ऐसे अनुभवी गुणों से परिपक्व महान कलाकार के करीब रहकर किसी के जीवन में जीवन परिवर्तन का गुण व कला डॉ. भूपेन हजारिका से सरलतापूर्वक मिलती रही।
उनकी सरलता की कोई सीमा नहीं थी, सुरीले कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान रहती थी। कर्णप्रिय मार्मिक ह्रदयस्पर्शी गीत सुनकर ऐसे उतार चढ़ाव में गाये कि श्रोताओं के नयन भीग आते। उनकी लेखनी का कमाल अदभुत अनोखा रहा जिसमें कई भाषाओं की पकड़ हासिल करने में महारथ थे। भाषाओं के प्रति उनका लगाव साबित किया कि वे उस भाषाओं के गीत को सुरीले हूबहू गाते गए। आपबीती जीवन की सच्चाई को महान कलाकार डॉ. हजारिका बखूबी मार्मिकता से सजाए सुनाए। आँचलिक स्तर से अंतराष्ट्रीय स्तर तक ख्याति पाए डॉ. भूपेन हजारिका असम असमीया समाज पूर्वोत्तर राज्य की जाति जनजातियों के जीवनकाल रहन सहन भाषा साहित्य संस्कृति समस्याओं के वर्णन में एक मात्र दुर्लभ अद्वितीय कलाकार है।
उनका दायरा कितना विशाल है यह विषय काफी अधिक अध्ययन करने का विषय है। उनका कर्म क्षेत्र व उनकी रचनाए स्वयं इस विषय को बयां करती है। समर्पित भाव से आपसी समन्वय स्थापित कराने में भूपेन दा का स्थान ह्र्दयभाव की अंतहीन गहराइयों में है। जनमानस
उनके कर्म को आजीवन भूल नहीं सकता। केवल असमीया गीत ही नही असीमित भिन्न भाषाओं के गीत गायकी की प्रतिभा में उनका
बंगला हिंदी आदि का खाता टटोलने पर अंदाज किया जा सकता है। उनकी धुनें अजब गजब सुंदर सुर लय ताल में ऐसे ढाल गए कि उनकी गायिकी को जीवनपर्यन्त सुनने की इच्छा मन में हिलोरे मारती है। एक ऐसे मोड़ से जादू भरे जिससे श्रोताओं के दिल दिमाग से सुधाकंठ की आवाज आज भी गूँजती है पूर्वोत्तर प्रान्त, असम तो क्या उनके जीवन के चित्रण वर्णन और वास्तविकता के बारे में लगातार सुधाकण्ठ डॉ. भूपेन हजारिका के जन्मदिन व पुण्यतिथि के अवसर पर अथवा अन्य दिनों में लेखन कार्य आदि सहित अब शोधकार्य में तमाम लोग लीन है।
ऐसे महान कलाकार को खोने के बाद रिक्त स्थान की भरपाई के विषयों को लेकर आपसी चर्चाओं में यह बात अवश्य तूल पकड़ रही है। ऐसे अद्वितीय कलाकार जैसे महान कलाकार की तलाश में आज मानवसमाज में संगीत गीत की दुनिया का दायरा अत्यधिक शक्तिशाली करना लाजिमी समझा जा रहा है। पुनः डॉ. सुधाकण्ठ जैसी विचार धारा से जनमानस में समन्वय का गोता लगवाने की पकड़ में भावी पीढ़ी में
जनचेतना से मार्गदर्शन कराना एक अहम कार्य है।
वे एक सुयोग्य चित्रकार भी थे। बनारस में स्थित उकील ऑफ स्कूल ऑफ आर्ट्स में कलाकार धीरेंद्र कृष्ण देववर्मा से चित्रकला का प्रशिक्षण लेकर सफलता अर्जित किये। उनको चित्रकला प्रदर्शनी में प्रशंसा भी मिली। वे चाहते तो चित्रकला में अपनी अनूठी पहचान पैठ जमा सकते थे। परन्तु उनके दिल दिमाग में संगीतकला के तार तेज बजने पर होने चित्रकला में चिपके नहीं। चित्रकला से कहीं अधिक गीत संगीतकला को जीवन का अभिन्न अंग बनाये। बनारस में संगीत सम्मेलनो का प्रभाव गहरा पड़ा वे काफी प्रभावित भी हुए। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में संगीत भवन से उनको सीखने में विशेष मदद मिल गई। वहाँ वे भारतीय संगीत के मूल ज्ञान में छंद, राग प्रस्तुत करने की
शैली के बारे में संगीत का ज्ञान लाभदायक बनाये। वहीँ अध्ययन के दिनों में विदेशी छात्र छात्राओं से मधुरता भी बनी। उनके जीवन में संगीत जीवन का मूल स्थान भी बनारस है। बनारस से उनका रिश्ता अटूट है। यही से उनके जीवन को नया मोड़ मिला। गीत संगीत से अमिट छाप छोड़ते अनगिनत जगहों में प्रस्तुति देते गए। सुधाकंठ भुपेन दा एक अदुभुत उदाहरण है। उनके जीवनभर के कार्य पर सचमुच शोधकार्य में गुणों के भंडार की खोज की जा सकती। “मानुहे मानुहोर बाबे” गीत को सुनकर दिल के तार सचमुच बज उठते है।

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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