अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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सारे भारत के नर नारी,
करवा चौथ मनाते।
अपने ही अपनों से मिलकर,
अपना उन्हें बनाते।
पार्वती शिव और गजानन,
की पूजा होती है।
चौथ तिथि को पूज्य सुहागिन,
सारे दुख खोती है।
उत्तम पति की आस ह्रदय रख,
कन्यायें व्रत करतीं।
सारे सुख सौभाग्य प्राप्ति की,
मन में आशा भरतीं।
निराहार निर्जल व्रत रखकर,
सुंदर रूप सजातीं।
दीर्घायु हों सजन हमारे,
प्रभु से खैर मनातीं।
सारे दिन पकवान बनातीं,
गृह कारज करतीं हैं।
कर सोलह श्रृंगार सँवरतीं,
मन उमंग भरतीं हैं।
नए वस्त्र आभूषण पाकर,
मन ही मन मुस्कातीं।
रहे सलामत मेरा सजना,
गीत प्यार के गातीं।
अंबर में जब चाँद दीखता,
तब पूजा विस्तारें।
चलनी और दीप ज्योति से,
उसकी छटा निहारें।
मधुमय जीवन हो हम सबका,
इसी भाव से जीतीं।
चाँद देखकर खुश हो जातीं,
साजन से जल पीतीं।
दांपत्य बट सा स्थिर हो,
चौथ कामना करतीं।
लेती स्वयं बलायें पति की,
प्रेम अंक में भरतीं।
पाकर के समीप्य सजन का,
मन मयूर हर्षाता।
मिलता जो पावन अनंत सुख,
उर मैं नहीं समाता।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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