अशोक कुमार यादव
मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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मेरे साजन, मैं सुहागन,
करवा चौथ व्रत रखी हूँ।
माँगूँगी तेरे लिए लंबी उमर,
भूखी,प्यासी बैठी हूँ।।
सोलह सिंगार करके,
सिंदूर तेरे नाम के भरके।
तैयार हूँ सज-धज के, प्या
र है जन्मोंजनम के।।
सही-सलामत तुम रहो,
इसलिए कष्ट सहती हूँ।
मेरे साजन, मैं सुहागन,
करवा चौथ व्रत रखी हूँ।।
तुम ही मेरे अच्छे दोस्त हो,
तुम मेरे भगवान हो।
तुम ही तपस्या के फल हो,
प्रभु के वरदान हो।।
शिव-पार्वती, गणेश की,
पूजा-अर्चना करती हूँ।
मेरे साजन, मैं सुहागन,
करवा चौथ व्रत रखी हूँ।।
छुप गया चाँद बादलों में,
अब कैसे दीदार करूँ।
जीवन साथी पास खड़े,
कुछ पल इंतजार करूँ।।
जब उदय हुआ माँगी आशीष,
सौभाग्यवती रहूँ।
मेरे साजन, मैं सुहागन,
करवा चौथ व्रत रखी हूँ।।
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई।
प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग
सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण ‘शिक्षादूत’ पुरस्कार से सम्मानित, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, छत्तीसगढ़ हिन्दी रत्न सम्मान, अटल स्मृति सम्मान, बेस्ट टीचर अवॉर्ड।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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