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मंगल खुशियां लाते मिट्टी के दीपक

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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मिट्टी के प्यारे न्यारे दीपक,
रौशनी में खिलखिलाते
जलते-जलते तेलबाती
के दीपक, घर को चमकाते
दीपोत्सव से प्रकाशोत्सव
पर्व तक छा जाते
मिट्टी के शुभ मंगल दीपक,
खुशियां भर-भर लाते

कुम्हार के हाथों से,
मथकर चिकनी मिट्टी के
चाक के चक्कर
कच्ची मिट्टी के लगाते
सुहावने सुंदर आकृति में
मिट्टी के दीपक बन जाते
देख कच्ची मिट्टी के दीपक,
हम मोहित होते जाते

जगमगाते लुभाते,
सुहावनी रौशनी,
दीपक फैलाते
मन को हर्षाते,
जगमगाते, रोशनी
खुशियां बिखराते
प्रदूषण से सबको,
तेलबाती के
मिट्टी के दीपक बचाते
घर-घर का मंगल
उजियारा दीपोत्सव
के दीपक बढ़ाते

मिट्टी में रमते मिलते
उत्सव की बेला पर
मंगल गीत से आंगन
को मधुरिम बनाते
घर भर के आंगन में
दीपक सगुन भरते जाते
विराजमान होकर घर के
कोने कोने तक सुख समृद्ध
कुशल मंगल का प्रकाश फैलाते
परिवार के सुख शान्तिमय
जीवन के अग्रणी
तेलबाती के मिट्टी के
दीपक हर वर्ष जलाते

जलते-जलते बुझकर भी
मन को लुभाते
मनमोहक जलते-जलते
आंगन सजाते
शुभ मांगलिक सगुन
दीपोत्सव पर पाते
कच्ची मिट्टी के दीपक
सगुन से जलाते

खुशियां ही
खुशियां हम पाते
घर को
रौशनी से नहलाते
घर आंगन को
महकाते हर्षाते
उमंग उत्साह
जादू भरने का
तेल बाती के
दीपक दिखलाते
मिट्टी के दीपक में
खुशबू जादू पाते

हवाओं के झोंके में
टिमटिमाते
रौशनी बढ़ाते
खूबसूरत
नजारा बनाते
हर कोने को
निखराते
खुशियां घरों
की बढ़ाते
तेलबाती से
जलते जाते
वर्षो से हम
शुभसगुन के
मिट्टी के दीपक
जलाते

धनलक्ष्मी की
अनन्त वर्षा
दीपोत्सव पर
नजर कर पाते
हर परिवार में
सुख समृद्धि
शांति हरियाली
में यही जलाते
ये मिट्टी के
दीपक कहलाते

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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