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स्वयं आत्मबल

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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चलता जा बढ़ता जा
बढ़ाता जा मन का बल
मत तोड़ हिम्मत
हो जा निडर
बढ़ता जाएगा
स्वयं आत्मबल

कदमों को बढ़ाता
मनशक्ति बढ़ाता
बढ़ता आगे निकल
मत थाम कदम
हिम्मत से ले काम
बढ़ाकर मन का बल
खुशियां का मिलेगा
स्वयं आत्मबल

बढ़ाकर विवेकपूर्ण
मन के नेक विचार
अनुभव खुशियों में
बढ़ा आत्मिक बल
खिलता चला आएगा
स्वयं आत्मबल

खुशियों सी लता सा
फैल जाएगा संसार
उच्च ख्यालों का
बढ़ता जाएगा प्यार
मन ही मन में भरेगा
बंधायेगा अन्तर्मन
करूणा प्रेम सम्बल
झूठ कपट छलकपट
त्यागकर पायेगा वही
स्वयं आत्मबल

फैलते रहे अन्तर्मन में
सच्चाई ईमानदारी
बढ़ते जाए उत्तम भाव
रहे न मन कभी चंचल
भूलकर जीवन के दुख
मिलेगा चैन और बल
मन ही मन भरता
पायेगा दरदिन हरपल
स्वयं आत्मबल

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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