भीष्म कुकरेती
मुम्बई (महाराष्ट्र)
********************
पशु मूत्र चिकित्सा
भारत में स्वमूत्र (५००० वर्ष प्राचीन) व पशु विशेषकर गौ मूत्र चिकित्सा ३००० व पहले से प्रसिद्ध चिकित्सा है। पंचगावय घृत व गौ मूत्र मंत्रणा तो प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। चरक संहिता सुश्रुत संहिता, भाव प्रकाश में मूत्र चिकित्सा हेतु विशेष अध्याय हैं। चरक संहिता के सूत्रस्थानम भाग के ९३ वे श्लोक से १०६ वे श्लोक तक मूत्र विवेचना है। इसी तरह सुश्रुत संहिता बागभट्ट संहिता में बे पशु मूत्र की विवेचना की गयी है।
चरक संहिता ने निम्न पशु मूत्र से चिकत्सा पद्धति बतलायी है –
१- भेड़ मूत्र
२- बकरी मूत्र
३-गौ मूत्र
४-भैंस मूत्र
५- हस्ती मूत्र
६- गर्दभ मूत्र
७-ऊंट मूत्र
८-अश्व मूत्र
चरक ने मूत्र के गुण इस प्रकार बताये हैं –
गरम
तीक्ष्ण
कटु
लवण युक्त
पशु मूत्र निम्न रूप से औषधियों में उपयोग होते हैं –
उत्सादन
आलेपन
प्रलेपन
आस्थापन में निरुह में
विरेचन
स्वेदन
नाड़ीस्वेद
अनाड़
विषनाशक
चरक ने प्रत्येक पशु मूत्र के गुण व रोग निदान का विवरण दिया है जो आज भी कार्यरूप में सही सिद्ध हुए हैं यथा
भेड़ मूत्र न पित्त बढ़ने देता है न शमन करता है
अजमूत्र (बकरी) त्रिदोष नाशक स्रान्तो में हितकारी
गौमूत्र -कुष्ठ, खाज, कृमि नाशक, पेट व बात हेतु लाभकारी
भैंस मूत्र – बबासीर, उदर रो , शोथ निवारण हेतु
हस्ती मूत्र – अवरुद्ध मल, मूत्र रोग, विषरोग, बबासीर में लाभकारी
ऊंट मूत्र – स्वास, खास, अर्श रोग नाशक
अश्व मूत्र – कुष्ट विष व व्रण रोग नाशक
गर्दभ मूत्र – मिर्गी आदि अप्पसार विनास में लाभकारी
आधुनिक चिकत्सा शास्त्री भी गौ मूत्र को चिकित्सा हेतु लाभकारी मानते हैं व गुलहन हर्षद व अन्य वैज्ञानिकों ने (इंटरनेशनल जॉर्नल ऑफ़ आयुर्वेदा फार्मा जिल्द ८ (५) २०१७ में आधुनिक चिकत्स्कों द्वारा गौ मूत्र को निम्न रोगों हेतु लाभकारी माना है –
कैंसर निरोधक
नुकसानदेय एन्टीबायटिक औषधियों की रजिस्टेंस रोक (प्रिवेंसन ऑफ एन्टीबायटिक रजिस्टेंस)
फंगीसाइड्स
एंटीसेप्टिक
ऐन्थेलमेंटिक ऐक्टिविटी
बायो इन कैंसर
इमिनो स्टीमुलेंट
घाव भरान शक्ति
एंटी यूरोलिथिएटिक एफ्फेक्ट
गाय गोबर मूत्र चिकत्सा पर्यटन विकास –
गौ गोबर -मूत्र गुण व चिकित्सा –
किसी भी भूभाग में चिकित्सा पर्यटन विकास करना हो तो गाय गोबर व गाय मूत्र चिकित्सा विकास आवश्यक है। गाय मूत्र के गुण पिछले अध्याय में उल्लेख हो चूका है। वैसे बहुत से प्राकृतिक चिकित्सा स्पा में गाय गोबर व गौ मूत्र चिकित्सा का उपयोग होता है। गौ गोबर हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं व कीटों का नाश करता है व भगाता है। कृषि खाद में गौ गोबर इसी लिए प्रयोग होता है कि गाय गोबर पेड़ पौधों को भोजन के अतिरिक्त जीवाणु-कीट नाशक शक्ति भी देता है। फ़ूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों में प्रदूषण हटाने हेतु गाय गोबर ही प्रयोग किया जाता है। भोज समय भोजन स्थल में गाय गोबर छिड़काव के पीछे गाय गोबर की कीट नाशक शक्ति ही मुख्य कारण है। प्राचीन काल में गौशाला में प्रसव करवाने के पीछे मुख्य कारण गाय गोबर का चिकित्सा गुण ही था
प्राचीन काल ही नहीं कुछ साल पहले तक मकान के दीवारों व फर्श लिपाई गोबर से की जाती थी तो कारण गोबर के बैक्टीरिया व विरोधी गुण ही था। गौ मूत्र व गोबर को पीने के पीछे गोबर मूत्र का चिकित्सा गुण ही उत्तरदायी था।
पंचगाव्य में गोबर, मूत्र, घी गुड़ आदि होता है जिससे चिकित्सा की जाती है। मच्छारों, झांझ व अन्य कीटों को भगाने हेतु गुपळ या उपल जलाने के पीछे भी मुख्य कारण गोबर की चिकित्सा शक्ति ही है। अब आधुनिक युग में गोबर व गौ मूत्र से से निम्न उत्पाद चिकित्सा व उपभोग हेतु निर्मित किये जाने लगे हैं –
फर्श सफाई पदार्थ
टूथ पेस्ट
नहाने का साबुन
हाथ धोने हेतु हैण्ड वाश
मुख हेतु फेस वॉश क्रीम
शैम्पू
तैल
अगरबत्ती
उपरोक्त पदार्थों का विपणन, प्रचार प्रसार मेडिकल टूरिज्म का भाग बनना चाहिए। यदि अन्वेषण हो तो लाल मिट्टी के साथ गोबर व मूत्र का संगम कर अन्य पदार्थ भी बन सकते हैं। मूत्र चिकत्सा पर्यटन विकास हेतु अवसंरचना /infrastructure निर्माण, चिकित्स के सभी प्रबंध, रोगियों हेतु व रोगियों के परिजनों हेतु ठहरने, भोजन, मनोरंजन, परिहवन आदि का उचित प्रबंधन आवश्यक है। ग्राहकों को समझ कर उन तक संदेश जाना चाहिए। चिकत्सा सदा से ही विश्वास पर आधारित विचार होता है अतः ग्राहकों मध्य विश्वस जगाना आवश्यक होता है। प्रतियोगिता, मूल मूल्य, ग्राहक की क्रय शक्ति के अनुसार ग्राहक मूल्य रखा जाता है। चिकित्सा पर्यटन विकास में चिकित्स्कों व प्रशासन दोनों की भागीदारी व उत्तरदायित्व आवश्यक है।
Copyright @Bhishma Kukreti
जिन्हे मेल अरुचिकर लगे वे सूचित कीजियेगा
परिचय :- भीष्म कुकरेती
जन्म : उत्तराखंड के एक गाँव में १९५२
शिक्षा : एम्एससी (महाराष्ट्र)
निवासी : मुम्बई
व्यवसायिक वृति : कई ड्यूरेबल संस्थाओं में विपणन विभाग
सम्प्रति : गढ़वाली में सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता व व्यंग्य चित्र रचयिता, हिंदी में कई लेख व एक पुस्तक प्रकाशित, अंग्रेजी में कई लेख व चार पुस्तकें प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻