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रूठे-रूठे सजन

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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रूठे-रूठे सजन हमारे,
हमको आज मनाने हैं।
वो हैं चाँद चकोरी मैं हूँ,
सपने नये सजाने हैं।।

अधर गुलाबी प्राणप्रिये ये,
मोहक रूप दिखाएँगे,
रति सा कर श्रृंगार मनोहर,
साजन तुम्हें रिझाएंँगे।।
साथ साँवरे प्रियतम प्यारे,
कई बसंत बिताने हैं।
रूठे-रूठे सजन हमारे,
हमको आज मनाने हैं।।

तुम कान्हा में तेरी राधे,
खिंचे पास चले आएँगे।
रास रचाएंगे मधुवन में,
गीत मिलन के गाएँगे।।
सम्मोहित तन मन ये होगा,
यौवन-रस छलकाने हैं।
रूठे-रूठे सजन हमारे,
हमको आज मनाने हैं।।

तुम कान्हा मैं मीरा तेरी,
प्रभु जोगन बन जाऊँगी।
दीवानी में जन्म जन्म की,
मोहन के गुण गाऊँगी।।
प्रेम रतन पाकर जीवन में,
सपने लाख सजाने हैं।
रूठे-रूठे सजन हमारे,
हमको आज मनाने हैं।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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