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चंद्रयान और चांदी

अरुण कुमार जैन
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 

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चंद्रयान ३ की सफलता के बाद भारत भर में खुशियां छाई हैं, सुदूर चांद तक इसकी ऊंचाई है। पूरे देश में बहुत ही जोश-खरोश से जश्न मनाया गया, मिठाईयां बांटी गई तो कहीं पटाखे फोड़े गए, सबने अपने अपने ढंग से और पूरे मन से इस चंद्र पर्व को मनाया।

न वर्ग गत और न ही दलगत राजनीति इसमें आड़े आई, सब तरफ बस खुशी छाई। अभी पूरा सप्ताह हमारा चंद्रमय हो गया। मन में इतना उत्साह था की क्या बताएं। जो बचपन से चंदा मामा आसमान पर टांका हुआ था, लगा जैसे अचानक हमारे हाथ आ गया। कितनी गर्मी, सर्दी, बरसातें, देख ली आसमान में ताकते हुए, कभी किसी सुंदरी का सुंदर चेहरा न दिखा तो चांद को देख लिया, भारतीय उत्सव प्रियता का एक अदद बिंदु चांद करवा चौथ वाली बहुओं का झीनी जाली से देखा जाने वाला चांद जो अपने पति की लंबी उम्र की कामना में कई उपवास खुलवाता है और अपनी शीतलता से, चांदी की किरणों से मन को आनंदित करने वाला चांद, ज्योतिष में भी उसे चंचल मन का कारक माना गया और कामदेव का प्रतिबिंब चांद।

दुनिया भर में फैले देशों की सीमाओं को तोड़ता पूरे विश्व का एक चांद, जिस पर आधारित संसार के कैलेंडर बनाए गए और आज पूरा देश इस सलोने पर मर मिटा है, उस तक हमारी पहुंच जो हो गई है। जन-जन ने अपने अपने हिसाब से उसे मन ही मन नाप डाला है।बच्चों से बुजुर्गों तक जिज्ञासा है की हमने एक बड़ा काम कर डाला है, अब जल्द ही इसरो वाले नया कोई रास्ता निकाल लेंगे की हम चांद पर उसी तरह जा पाएंगे जैसे हम अभी दिल्ली या कोलकाता या चेन्नई पहुंच जाते हैं। इसकी लागत में और कमी आ जाएगी और हमारे चांद पर जाने का खर्चा भी कम हो जाएगा। एक आम आदमी भी पार्टी मनाने परिवार सहित चांद पर जा सकेगा। अमीर सोच रहे हैं छोटी बिटिया का विवाह समारोह वहीं से निपटाएंगे। नया डेस्टिनेशन हो गया है। पंडित सोच रहे हैं शिवशक्ति स्थल पर मंदिर निर्माण तो होगा ही, नए जजमान ढूंढने लगे हैं ताकि धूमधाम से स्थल पूजा की जा सके। नाना प्रकार के सपने अपने हुए हैं।

इधर सरकारी महकमों में सबसे पहले राजस्व विभाग वालों ने प्लानिंग शुरू कर दी है। भविष्य में क्या इंपैक्ट पड़ेगा उसका कच्चा आकलन पक्का कर लिया है। क्या और कितना राजस्व उगाया जा सकता है, ऊपर नीचे की कमाई कितनी हो सकती है। क्या नियम प्रक्रियाएं अपनाई जाए ताकि जनता टूट पड़े जितनी ज्यादा प्रक्रिया कठिन बना दी तो उसे सुलझाने के उतने ज्यादा पैसे तो पौ बारह।पटवारियों में भारी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। कुछ ने तो हर कलेक्ट्रेट में शिवशक्ति मंदिर बनवाए जाने की मुहिम को बल देना चालू कर दिया है, यही नहीं कुछ ने मन्नत भी मांग ली है। जन्नत में सुखी रहने का वे इससे सरल उपाय नहीं खोज पाए हैं।

बहरहाल, पटवारी संघ ने ज्ञापन तैयार कर डाला है की चांद पर सबसे पहले हमारी सेवा ली जाए, उन्होंने अपनी जमीन नापने की चैन जरीब भी तैयार कर बैग में धर ली है। आखिर मिसल नक्शा, अधिकार अभिलेख, खसरा पांच साला, भू अधिकार पुस्तिका, बी वन बनाकर रिकॉर्ड दुरुस्ती भी जरूरी है। यह सब काम पटवारियों के जिम्मे ही आने हैं, बंदोबस्त विभाग ने नक्शा जारी करने की तैयारी शुरू कर ली है।सभी मिशन चंद्रयान में जुट गए हैं। सबको उम्मीद है, सरकार बड़ा भारी निवेश करेगी और उससे अधिक विदेशी मुद्रा कमाने का और पर्यटन को बढ़ावा देने की नई नीति लाएगी। सो सभी अपनी अपनी तरह से इसरो की आगामी घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं की जल्दी ही सूर्य ग्रह के लिए आदित्य एल वन भी पूरी सफलता हासिल करे ताकि वहां का व्यवसाय भी इसी भांति सम्हाला जा सके।
वित्त मंत्रालय की आगामी बैठक में बजट में चंद्रमा से आयात पर विशेष पैकेज के तहत ड्यूटी में छूट की संभावना भी बलवती है। निर्यात के लिए तेल तिलहन, दलहन, शकर और मसाला निर्माताओं ने अपने अपने व्यापार मंडल को सुझाव भेज दिए हैं, ताकि इस विषय पर बात शुरू होते ही वे अपना नजरिया केंद्रीय सरकार को तात्कालिक रुप से बता सकें।
भविष्य में जब चांद पर आवाजाही बढ़ेगी, कॉलोनियां विकसित होंगी तब हर चीज की जरूरत पड़ेगी, इधर हम वैसे भी एक सौ चालीस करोड़ की जनसंख्या वाले वृद्धि शील देश हैं और हमारी तेज होती अर्थव्यवस्था के साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ना ही हैं। चंद्रमा पर फतह करना विश्व में हमारी आर्थिक और सामरिक शक्ति तो बढ़ा ही रहा है, हमारी बढ़ती आर्थिक गतिविधियों को भी नए मुकाम हासिल हो रहे हैं।इसलिए भविष्य के आगाज को पहचान कर तैयारी करना गलत भी नहीं है।
महिला मंडलों ने चांद पर बसने पर करवा चौथ पर अल्टरनेट चांद की व्यवस्था पर भी विचार प्रारंभ कर दिया है। विशेषज्ञ महिलाओं की राष्ट्रीय समिति का गठन हो गया है। युवतियां कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विषय बदलने की तैयारी कर रही हैं, स्पेस साइंस और स्पेस से संबंधित विषय यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों में बढ़ाने और सीटों को बढ़ाने की मांग करने पर तेजी से कारवाई जारी है। चांद जैसे और दो चार चांद बनाए जाने की संभावना पर विचार किया जा सकता है। प्रॉपर्टी डीलर, कॉलोनाइजर नए धंधे के विचार से अभिभूत हैं आखिर चांद पर कॉलोनी काटेंगे तो रेरा से पिंड छूटेगा। हकीकत से ज्यादा आसानी से सपने बिकते हैं और हर आदमी हकीकत से जी चुराकर चंद्रयान के उतरते ही चांदी के सपने देख रहा है, आखिर कुछ दिन ही सही हकीकत की खाज से ख्वाब बुरा क्या है।

परिचय :- अरुण कुमार जैन (आईआरएस)
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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