Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है काव्य संग्रह- जीजिविषा

काव्य संग्रह का नाम- जिजीविषा
रचनाकार का नाम- मोनिका
प्रकाशक- बीएफसी पब्लिकेशन गोमती नगर लखनऊ
पुस्तक की कीमत- २७० रूपए।
पुस्तक समीक्षक- आशीष तिवारी “निर्मल” (रीवा मध्य प्रदेश)

देश की वरेण्य कवयित्री लखनऊ निवासी मोनिका जी की काव्य संग्रह जीजिविषा पढ़ने को मिली। इस काव्य संग्रह में मानवीय संवेदना से परिपूर्ण कुल चालीस नई विधा की कवितांए हैं।यह काव्य संग्रह पाठक को चिंतन के धरातल पर ले जाता है। जीवन के सच्चे लगाव को प्रकट करती इन कविताओं मे मानव मन के सरल निश्चल भावों की अभिव्यक्ति समायी है। कविता में चिंतन उसके अर्थ को गहराई प्रदान करता है।काव्य संग्रह ‘जीजिविषा’ में रचनाकार के सरोकारों का दायरा विस्तृत है और वैयक्तिक भावों के अलावा कवयित्री मोनिका के सामाजिक सरोकार भी बेहद पैनी और सधी भाव भंगिमा भी इन कविताओं में समाहित है। कविता जीवन से आत्मीयता और प्रेम प्रकट करने वाली विधा है। कविता संग्रह जीजिविषा में संकलित कविताओं का अर्थ विवेचन किया जा सकता है क्योंकि इस काव्य संग्रह में रचनाकार मोनिका के जीवन के सुख-दुख के साथ सिमटी अन्य तमाम बातें भी हमारे परिवेश और इसके यथार्थ से ही उपजी प्रतीत होती हैं। प्रत्येक रचना में रचनाकार एक संवाद कायम करते हुए सामने आ रही हैं। समाज से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के आसपास से होकर गुजरती हुई रचनाएं इस काव्य संग्रह को अन्य काव्य संग्रहों से अलग बनाती है। यह काव्य संग्रह इस बात को बखूबी प्रमाणित करता है कि रचनाकार द्वारा अपने साकारात्मक हरियरपन से धूप को रंग डालने की कल्पना करते हुए जीवन मे संघर्ष और प्रगति के तर्क को नजदीक से समझा जा चुका है।आगे बढ़ने की होड़ में दम तोड़ती मानवीय संवेदना रचनाकार के ह्दय मे पीड़ा उत्पन्न करती है। बेटियों पर आधारित रचना के माध्यम से रचनाकार द्वारा समाज से अपील भी की गई है। समाज जहां भी ईमानदारी से अपना किरदार नही निभा पा रहा हर उस विषय को कवयित्री मोनिका ने अपने शब्दों के माध्यम समाज का ध्यान आकृष्ट कराया है। वहीं कविता मेरा देश महान है के माध्यम से राष्ट्र की वंदना भी काव्य संग्रह मे की गई है। मां पर आधारित कविता के द्वारा रचनाकार ने बताया कि मां एक ऐसा शब्द जिसमें ममता, समता, दया, करुणा सारे भाव समाहित हैं। काव्य संग्रह में सभी रिश्तों पर कविताएं पाठकों को पढ़ने को मिलेंगी मां, पिता, बहन, बेटी, गुरू, शिक्षक के साथ ही जीवन मे मिले वो सभी रिश्ते जिनसे हमें समाज मे सम्मान मिलता है प्रेम मिलता है। जीवन मे सुखमय एहसास का अनुभूति कराने वाले पल जिनको श्रृंगार और वियोग की रचनाओं से प्रकट किया गया है।
मैं इतने उत्कृष्ट लेखन के लिए कवयित्री मोनिका को उनके प्रथम काव्य संग्रह जीजिविषा के लिए बधाई प्रेषित करते हुए हर्षित हूं आशा है आपका अगला काव्य संग्रह शीघ्र ही पाठकों के हाथ में हो।
शुभकामनाओं सहित … आशीष तिवारी “निर्मल”

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन-आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। इस आलेख में व्यक्त किये गए विचार मरे स्वयं के हैं। 


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *