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हिन्दी

बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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उत्तर, दक्षिण ,पूरब, पश्चिम,
एक सभी का नारा
‘हिन्दी’ भारत में जनमन की
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

सर्व-प्राचीना-संस्कृत-जननी
भगिनी जिसकी सब भारत भाषा
दर-दर की बोली ‘शिशु-सरल’
निर्मल जिसकी मातृ अभिलाषा
इन बोली, उपभाषा में
बसता प्राण हमारा
हिन्दी भारत में जनमन की
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

माँ की लोरी, पिता का गान
गिनती, पहाड़ा,अक्षर-ज्ञान
कविता, कहानी और विज्ञान
विकसित-सोच-समझ-अनुमान
मातृभाषा में ही अपने-
पलता संस्कार हमारा
हिन्दी भारत में जनमन की-
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

अंग्रेजी, फ्रेंच, इटाली, जर्मन
रूसी, चीनी, कोरियाई, बर्मन
हित्ती, ग्रीक, युनानी, रोमन
अल्बानी, तुर्की, फारसी, अर्बन
होंगी बहुत सी भाषाएँ पर
हिन्दी सबसे मधुरा-प्यारा
हिन्दी भारत में जनमन की-
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

ब्रज, बुन्देली,
कौरवी, कन्नौजी-
बाँगरू; बघेली,
अवधी, छत्तीसगढ़ी
मैथिली, मगही,
भोजपुरी; निमाड़ी-
मालवी, मेवाती,
मारवाड़ी, ढूँढाड़ी
‘गढ़वाली-कुमायूँनी-
पूर्वी-पश्चिमी
-पहाड़ी’ से पहचान हमारा
हिन्दी भारत में
जन-मन की-
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

पालि, प्राकृत,
अपभ्रंश से विकसित
ब्राह्मी, कुटिल, शारदा,
देवनागरी-लिपित
नवरस, शत-अलंकार,
बहु-छन्द-निमज्जित
मधुराक्षर-संगीत-
अनुप्रास-रुचित
‘प्रति-अक्षर-
उद्भव- वैज्ञानिक’,
भाषा गर्व हमारा
हिन्दी भारत में
जनमन की-
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

सिन्धी, पंजाबी,
गुजराती, लहँदा
बंगला, असमी,
मराठी, उड़िया
मोड़ी, मड़िपुरी,
नेवारी, सिंहली
तुलू ,तमिल,
मलयालम, कन्नड़-
‘देश की एका हिन्दी है’
हर भारतवंशी ने स्वीकारा
हिन्दी भारत में जनमन की-
‘जीवन-शिक्षा-धारा’।।

परिचय :-  बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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