अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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लक्ष्मी का अवतार राधिका,
बरसाने में आई।
विष्णु स्वयं, अवतार कृष्ण हैं,
गोकुल बजे वधाई।
राधा बिना,कृष्ण आधा है,
राधा ही कान्हा है।
कान्हा बिना,अधूरी राधा,
राधा बिन कान्हा है।
राधा-माधव, युगल मनोहर,
झाँकी सुंदर, प्यारी।
करती हैं निर्मूल दुखों को,
श्री वृषभानु दुलारी।
हैं बड़भाग, राधिका रानी,
कृष्ण बने अनुगामी।
तीन लोक आधीन आपके,
बारंबार नमामि।
लीला मधुर,राधिका जी की,
अविरल गंगा धारा।
सुखद छटा, राधा-मोहन की,
मनमोहन अति प्यारा।
चरण शरण जो रहे युगल की,
पाप, ताप मिट जाते।
जनम-मरण के भव बंधन से,
सब छुटकारा पाते।
विष्णु रूप में जन्मे कान्हा,
लक्ष्मी रूप में राधा।
युगल रूप जो दर्शन करता,
हट जाती है बाधा।
देह रुप हैं कृष्ण कन्हाई,
बनी आत्मा राधा।
कृष्ण अधूरे हैं राधा बिन,
बिन कान्हा के राधा।
राधा-माधव को जग पूजे,
भव बाधा हट जाती।
राधा-कृष्ण,मनोहर झाँकी,
पीड़ा सब कट जाती।
चरण कमल पूजूँ राधा के,
तमको दूर हटा दो।
बंसी वाले कहाँ मिलेंगे,
हमको पता बता दो।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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