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हम भी क्या सोचे

हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
आमला बैतूल (मध्यप्रदेश)
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कोई तो होगा इतना वफा करे क्यों,
वो बेचैन रहे हरदम हम भी क्या सोचे।
इतना भी करे कोई मिलने को तरसे,
आस उनकी भी रही हम भी क्या सोचे।

ऐसी लागी उनसे लगन अच्छा हुआ,
मिलने को आतुर हुए हम भी क्या सोचे।
जहां में इतना तो कोई प्यारा होगा,
मोहब्बत क्यों उम्मीद करे हम भी क्या सोचे।

सलोनी सी सूरत क्या ऐसे देंखे,
मनचले से पूंछो तो कोई हम भी क्या सोचे।
ये समां कोई जलाए भी तो ऐसे,
परवाना पूंछे क्या उनसे हम भी क्या सोचे।

चांद के पार चले जाना तो कोई,
रुक ना जाए राहों में हम भी क्या सोचे।
वो आए भी क्या इस तरह जहां में,
सोचा हमने भी ऐसा सही हम भी क्या सोचे।

कोई तो होगा अपना अब प्यारा,
खिलौना हो गया सपना हम भी क्या सोचे।
‘दीया’ ने क्या दिया जिसे दिया जब,
आस के भरोसे मांगे सिर्फ हम भी क्या सोचे।

परिचय :-  हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
निवासी : आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) गोविन्द कॉलोनी, आमला
वार्ड : रानी लक्ष्मी बाई (क्र.- ०८) साई किराना एवं आरा मशीन
शहर/ब्लॉक/तहसील : आमला बैतूल (मध्यप्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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