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सोलह कलाओं के अवतार

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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रमा विष्णु के तुम अवतार,
राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम।
जब जब नाश धर्म का होता,
तब-तब जन्म सुरेश का होता
सोलह कलाओं के अवतार,
राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम।।

बने राम अहिल्या तारी,
रूप कृष्ण में पूतना मारी
तुम अवतारी गोकुल धाम,
राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।।

बंसी बजाएँ सबको बुलाएँ,
राधा के मुरलीधर घनश्याम
बैरन मुरली छीन लई,
राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।।

रास रचाएँ, गोपी नचाएँ,
गोपों के तुम मितवा श्याम
जय-जय कृष्ण राधे श्याम,
राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।।

वृंदावन की कुंज गलिन को,
छोड चले तुम राधा के श्याम
मथुरा में जा कंस संघारे,
यशोदा नंदन तुम्हें प्रणाम।।

रणछोड़ भए द्वारिका बसाई,
अर्जुन सम्मुख गीता रचाई
जय सुखधाम, जय सुखधाम,
देवकीनन्दन तुम्हें प्रणाम।।

सोलह कलाओं के अवतार,
राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम
रमा विष्णु के तुम अवतार,
राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम।।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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