शैलेन्द्र चेलक
पेंडरवानी, बालोद, (छत्तीसगढ़)
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हमारी आत्माभिव्यक्ति की भाषा है हिंदी,
मां की ममता, पिता की आशा है हिंदी,
दिल की तार जो छेड़ दे वो मधुर गान है,
मैत्री की, प्रीति की परिभाषा है हिंदी,
सखी है, बहन है, माता है, प्रिया है,
डूबा है इसमें वें जो इसको जिया है,
हल्कू है, झूरी है, धनिया है, होरी है,
सुहाग की साड़ी को मरती एक गोरी है,
धनपत राय को मुंशी की पहचान है,
ग्रामीण जीवन को दिखाता गोदान है,
आँसू है, लहर हैं, झरना का पानी,
विनाश में नवनिर्माण दिखाती कामायनी,
प्रसाद है, पंत है, महादेवी की गान है,
गद्य को आधार देते, भारतेंदु महान है,
तिलस्मी अय्यारी है, चंद्रकांता प्यारी है,
देवकीनंदन की करामाती, अलगू जुम्मन की यारी है,
कुरुक्षेत्र की भूमि में पड़े पितामह अवधूत है,
रश्मीरथी का कृष्ण सिखाते शान्ति दूत है,
विषमता को दूर करने मुक्तिबोध उठाये जो बीड़ा है,
एक साहित्यिक की डायरी है, चाँद का मुंह टेढ़ा है,
नए पत्ते खिलाते निराला का परिमल है ,
साकेत, भारत-भारती, यशोधरा का आँचल है,
मीरा है, तुलसी है सूर के सखा की कहानी है,
दादू , रैदास की कबीर की अमृत बानी है,
दरिया है, सागर है, हिन्द की शान है,
राष्ट्र की पहचान हिंदी भाषा महान है,
परिचय :– शैलेन्द्र चेलक
निवासी : पेंडरवानी, बालोद, (छत्तीसगढ़)
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