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मेहनत और किस्मत

महेन्द्र साहू “खलारीवाला”
गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़)
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मेहनत कर प्यारे, किस्मत के भरोसे ना बैठ,
रुतबा अपने पास ही रख, यूँ ना ऐंठ,
मेहनत हमेशा सबको उबारती है,
मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।।

परिश्रम कर, श्रमसीकर बहा, निठल्ला ना बैठ,
तप कर कड़ी धूप में, यूँ चैन से ना बैठ,
पेट की अगन सबको मारती है,
मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।।

परिश्रम से लिख दो अपने किस्मत की लकीर,
श्रम के बूँद से चमकाओ अपनी तकदीर,
तकदीर बदलने के लिए मेहनत पुकारती है,
मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।।

पथरीली राहों में चाहते हो पर्वतों को लाँघ जाना
बादलों को चीरकर चाहते हो ऊँची मंजिल पाना
स्याह रात में भी जलाते रहो चिरागों की आरती
मेहनत से हमेशा किस्मत है हारती।।

खींच दो लकीर आसमां की बुलंदियों पर
बना लो आशियाना चमकते हुए चांँद पर
परिंदा भी पापी पेट खातिर चोंच मारती है,
मेहनत से हमेशा किस्मत हारती है।।

परिचय :-  महेन्द्र साहू “खलारीवाला”
निवासी –  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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