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आहट

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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आहट सुनकर बौराती हूँ,
तकती निशिदिन द्वार।
तुझ बिन सूना घर आँगन है,
लगता जीवन भार।।

स्वप्न सजाए लाखों मैने,
पुष्प बिछाये पाथ।
प्यास बुझाने मेह बुलाए,
लगा न कुछ भी हाथ।।
बंधन सारे तोड़ चला तू,
मानी मैंने हार।।

कंचन थाली काम न आई,
भूखा सोया लाल।
यम ने बाहुपाश में बाँधा,
बलशाली है काल।।
नयनों से बस नीर बहे है,
उर जलते अंगार।।

तंत्र- मंत्र सब खाली जाते,
आया है अवसाद।
मुरझाई प्रेमिल बगिया है,
शेष रही है याद।।
फेंक मौत का जाल मौन अब,
बैठ गया करतार।

पीड़ा माँ की कौन जानता,
जाने बस सिद्धार्थ।
ममता ने दी बस आशीषें,
भूलो मत तुम पार्थ।।
मानव केवल दास नियति का,
बात करो स्वीकार।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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