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पंडित जी के मोक्ष

उत्कर्ष सोनबोइर
खुर्सीपार भिलाई
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कंधे से कंधे मिला कर
चलने वाला दोस्त, जब आपको
कंधो पर बैठाकर समूचा बस्तर
दशहरा दिखा दिया हो!
एक ऐसा दोस्त जो हॉस्टल से
घर जाने के बाद
सेमेस्टर ब्रेक में भी आपको
कॉल करता हो…
और हर बार ये फोन लगाकर
पूछता हो कि “कब आथस बे?”
एक ऐसा दोस्त जिसे घर पहुँच कर
बताना पड़े की “हां पहुँच गे हो बे”
जो तुम्हें हॉस्टल आने की
हर खबर सुनते ही
बस स्टेशन पर
हर बार लेने पहुँच जाए।
वो हर एक दोस्त का बेस्ट फ्रेंड है
पर उसके नज़र में
हर एक दोस्त बेस्ट है।
वो जंहा बैठे वंहा
महफ़िल बन जाए
मुझे वो कुछ इस तरह मिला गया
जैसे देवभोग के खदान से हीरा
बेस्ट सीआर, यारों का यार,
सीनियरस का मान, कॉलेज की शान
सभी के दिलों में राज करने वाला
नाम है – मोक्ष

परिचय :- उत्कर्ष सोनबोइर (विधार्थी)
निवासी : खुर्सीपार भिलाई !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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