प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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चंद्रयान पहुँचा चंदा पर, तीन रंग फहराये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
ज़ीरो को खोजा था हमने, आर्यभट्ट पहुँचाया।
छोड़ मिसाइल शक्ति बने हम, सबका मन लहराया।।
सबने मिल जयनाद गुँजाया, जन-गण-मन सब गाये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
मैं महान हूँ, कह सकते हम, हमने यश को पाया।
एक महागौरव हाथों में, आज हमारे आया।।
जिनको नहीं सुहाते थे हम, उनको हम हैं भाये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
जो कहते थे वे महान हैं, उनको धता बताया।
भारत गुरु है दुनिया भर का, यह हमने जतलाया।।
शान तिरंगा-आन तिरंगा, गीत लबों पर आये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
अंधकार में किया उजाला, ताक़त को बतलाया।
जो समझे थे हमको दुर्बल, उन पर भय है आया।।
जोश लिये हर जन उल्लासित, हम हर दिल पर छाये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
ज्ञान और विज्ञान रचे हम, हमने शशि को पाया।
आशाओं का सूरज दमका, हमने नवल रचाया।।
नया और अनुपम-मंगलमय, विजय-ध्वजा फहराये।
शान बढ़ी, सम्मान बढ़ गया, हम सारे हर्षाये।।
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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