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विश्व गुरु भारत

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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आचार विचार सत्य सही और मन संकल्पित चरम।
राज पथ नाम बदलकर कर्तव्य-पथ पर चलते हम।
गांधी का भारत छोड़ो, नेताजी चलो दिल्ली शीघ्रम।
कर्तव्य पथ वतन से ही हटाई गई मूर्ति जॉर्ज पंचम।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमारे,अमर हैं वंदे मातरम।

वैश्विक महामारी कोरोना में देश देखे अदभुत कदम।
विकसित देशों का दुनिया ने भी टूटते देखा है भरम।
गुणवत्ता प्रधान दवा समुचित सेवा सहयोग निश्चयम।
अन्य राष्ट्र से पुरातन वस्तु वापसी विरासत का धरम।
वंदे-भारत ट्रेन सेवा की सौगात देश को वंदे मातरम।

डिजिटल क्रांति इंटरनेट डेटा जैसे कई सारे लक्षणम।
आतंकवाद पत्थरबाज कश्मीर में अमन चैन शरणम।
पांच सदी कानून जंग से राम मंदिर अयोध्या प्रसादम।
अमृत महोत्सव वर्ष घोषित चौबीस रामलला दर्शनम।
भारतमाला परियोजना से सड़क नेटवर्क वंदे मातरम।

दमदार दहाड़ते देश विरोधी का अब टूट चुका है दम।
महिला सशक्तिकरण बेटी बचाओ संकल्प की रसम।
शिक्षा चिकित्सा विश्वविद्यालय विकास है महानतम।
संस्कार जनक सनातन देश विश्व-गुरु स्वरूप जनम।
अंग्रेजी कानून दंड को न्याय में परिवर्तन,वंदे मातरम।
वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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