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केदारनाथ से विनती

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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मुझे अपने दर पर बुलालो ओ बाबा,
दरस को तेरे प्राण अटके हुए है।
है माया ने घेरा, तुम्हारी है माया,
उसी में है भटके और लटके हुए हैं।
मुझे अपने दर…

जिन्हें किया प्रेरित, वे पहुंचे तेरे दर,
मगर मैं अभागा, पहुंच ही न पाया।
दुबारा गए तेरे दर, भक्त काफी,
मगर घोर बारिस, ने वापस भगाया।
पसीजोगे एक दिन, तड़प पर मेरी तुम,
इसी आस डोरी से लटके हुये हैं।
मुझे अपने दर…

तेरे ग्यारह लिंगों के, दर्शन गए हो,
हुए ज्यों ही दर्शन, तो मन शांति पाया।
लगा हूँ ,कई वर्षो से पंक्ति तेरी,
मगर तुमने मेरे संदेशा, न पाया।
किया काठमांडू, में तेरा शिवार्चन,
उन्हें भी बताया, कि भटके हुए हैं।
मुझे अपने दर…

७८ बरस होगये, मेरे पूरे,
बुला लो जन्मदिन, तेरे दर मनाऊं।
परम भाग्य जागेगा, मेरा उसी दिन,
जिस दिन बाबा तेरे, मैं दर्शन को पाऊँ।
हूँ पापी कुटिल, पर हूँ बच्चा तुम्हारा,
फिर क्यों, जग की माया में चिपके हुए है।
मुझे अपने दर….

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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