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आजादी पाने को

ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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आजादी पाने को
देशवासियों की
ताकत कभी
नहीं थी डगमगाई
देश की खातिर लड़ने को
देशवासियो ने क्रांति बढ़ाई
आजादी की एकता आई
देशवासी लड़े
आजादी की लम्बी लड़ाई।।

देश की खातिर मर मिटने की
देशवासियो ने हिम्मत बनाई
हौसले बढ़ाकर लड़ने की
देशवासियों ने सचमुच
कसम खाई और
लडने की ताकत दिखलाई।।

देश के हर कोने में जागरूकता
देशवासी ने खूब फैलाई
गुलामी की लड़ाई में
बुनियाद मजबूत बनाई
कंधा से कंधा मिलाया
देशवासियों में
नया जोश आया
आश्चर्यजनक हिम्मत आई
मन मस्तिष्क बाजुओं में
गुलामी से मुक्त होने की
अटल जिद्द चली आई
अंग्रेजो के खिलाफ
कमजोर नहीं
कामयाबी की राह
मजबूत बनाई।।

गुलामी से आजादी पाने की
कूट -कूट भरी थी अद्भुत शक्ति
कठिन डगर कठिन सफर
थी वो घड़ियां चारो पहर
समस्या थी तमाम
विचारधारा थी
देशवासियों में समान
सीना तान थी खड़ी
अंग्रेजो की गुलामी
राह ढूढंने की हिम्मत में
देशवासियों ने फिर भी
न हिम्मत कभी तोड़ी
न हार देशवासियों ने मानी।।

गुलामी की दीवार
मिलकर सबने ढहाई
शक्ति पर शक्ति में
देशवासियों में
खूब बढ़ी देशभक्ति
देशवासियों में देशभक्ति
खरी उतर आई
देशवासी के सीने में
दाग दी गई थी गोली
उन्हें खाकर भी
आह तक नहीं निकली
जिद्द थी लड़ते रहेंगे
आजादी पाने को
आओ देशवासियों
जिद्द है हमारी
हम एक हो जायेंगे
कतई पीछे नहीं हटेंगे
आओ कदम से कदम
मिलकर खूब बढ़ाएंगे
बह जाए भले ही
खून की होलियां
देश की खातिर
लड़ते लड़ते
देश मे आजादी लायेंगे।।

जिद्द था सहन कर लेंगे
कारावास दंड अत्याचार
जिद्द था अपनी भूमि की
रक्षा करेंगे और
करेंगे खूब प्यार
गुलामी से बचायेंगे
प्राणों की आहुति
बेफिक्र देते जायेंगे
देशवासियों हम
देश की खातिर
लड़ते लड़ते
मर मिट जायेंगे
अंग्रेजो के चंगुल से
देश को बचाएंगे।।

वो थे साहसी निडर
देश के नोजवान
मर मिटे गए
खुद हुए लहूलुहान
उत्साह उमंग तरंग मुस्कान
भरकर
देश का बढ़ाया सन्मान।।

परिचय :- ललित शर्मा
निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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