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चलो चांद की ओर

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ये क्या कर रहे हो यार
अभी-अभी तो
चंद्रयान पहुँचा ही है
और आपके मुंह में
भी पानी आने लगा,
कम से कम कुछ
सभ्यता सीखो,
मानवता दिखाओ।
अभी थोड़ा
इंतजार तो करो
अपने सब्र का
जिगरा तो दिखाओ।
अभी चंद्रयान को ही
मामा की आवभगत का
भरपूर आनंद तो लेने तो,
मामा के बात
व्यवहार औकात का
कुछ पता तो लगने दो,
इतना न हड़बड़ाओ,
नग्नता पर न उतर आओ
अपनी धरती मां का
अपमान तो न कराओ
इतना भुक्खड़ हो ये
चंदा मामा से छिपाओ
शरीफ भांजे
बनकर तो दिखाओ।
क्या पता मामा का
रहन सहन घर बार कैसा है?
इतना पता तो लगने दो
चंद्रयान की चिट्ठी तार,
स्क्रीन शॉट तो आने दो
मामा को भी इतना तो मौका दो
कि वे हमारे खाने पीने
रहने का इंतजाम तो कर सकें।
ऐसी भी जल्दबाजी न करो कि
हमें बेशर्म मानकर रुठ जायें
खाने-पीने के नाम
सिर्फ सतुआ पिलाएं
खुले आसमान
के नीचे सुलाएं।
चलो न चाँद की ओर
हम कहाँ मना करते हैं,
पर आप हमारे साथ
भला कैसे जा पाओगे?
हमारा तो कन्फर्म टिकट है
आप वेटिंग टिकट से
हमें कंपनी कैसे दे पाओगे?
पहले अपना टिकट
तो कन्फर्म कराओ
फिर चलो चांद की ओर
का अभियान चलाओ
या सबको बेवकूफ बनाओ
चांद का यात्रा के
नाम पर लूटो खाओ
मगर उससे पहले थोड़ा
धैर्यवान तो बन जाओ
मेरे दादा, काका, चाचा, ताऊ
मैं हाथ जोड़कर, पैर पकड़ कर
आप सबसे निवेदन कर रहा हूँ
कम से कम इतनी जल्दी
नाक तो न कटाओ।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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