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राष्ट्रप्रेम की कुंडलिया

कन्हैया साहू ‘अमित’
भाटापारा (छत्तीसगढ़)

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मातृभूमि
चंदन है माटी यहाँ,
तिलक लगाएँ भाल।
जोड़ें मन संवेदना,
रखिए खून उबाल।।
रखिए खून उबाल,
देशहित को अपनाएँ।
गर चाहें अधिकार,
कर्म पहले दिखलाएँ।।
कहे अमित यह आज,
हृदय से हो अभिनंदन।
अपना भारत देश,
यहाँ की माटी चंदन।।

तिरंगा- १
रंग तिरंगा देखिए,
भारत की है शान।
वैभव पूरे देश का,
जनगण मन की आन।।
जनगण मन की आन,
एकता का यह दर्पण।
एक सूत्र में राष्ट्र,
करें सब प्राण समर्पण।।
कहे अमित यह आज,
गगन दिखता सतरंगा।
सदा उठाकर भाल,
करें हम नमन तिरंगा।।

तिरंगा- २
ध्वजा तिरंगा देखकर,
अरिदल भी घबराय।
साथ हवा के शान से,
झंडा जब लहराय।।
झंडा जब लहराय,
गगन में अतिशय फर-फर।
केसरिया को देख,
शत्रु सब काँपे थर-थर।।
कहे अमित यह आज,
लगे रिपु कीट पतंगा।
आन-बान यह शान,
राष्ट्र की ध्वजा तिरंगा।।

तिरंगा- ३
आज तिरंगा रो रहा,
देख देश हालात।
करनी कुछ करते नहीं,
केवल कहते बात।।
केवल कहते बात,
स्तब्ध अपनी आजादी।
लेने बस अधिकार,
दौड़ जाती आबादी।।
कहे अमित यह आज,
मलिन अब यमुना गंगा।
कैसे होंगें स्वच्छ,
पूछता आज तिरंगा।।

परिचय : कन्हैया साहू ‘अमित’ (शिक्षक)
निवासी : भाटापारा (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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