भीष्म कुकरेती
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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भारत मेडिकल टूरिज्म में कई सकारात्मक तत्वों के कारण प्रगति कर रहा है। मेडिकल टूरिज्म में प्राकृतिक चिकित्सा का योगदान भी अब वृद्धि पर है जैसे केरल व उत्तराखंड। प्राकृतिक चिकित्सा पर्यटन विकास में में मृदा चिकित्सा या मड थेरेपी टूरिज्म का महत्वपूर्ण योगदान है। मृदा चिकित्सा पर्यटन के विकास हेतु कई बातों पर ध्यान देना होगा।
वैकल्पिक पर्यटन अथवा प्राकृतिक चिकित्सा पर्यटन विकास में मृदा अथवा मड चिकित्सा सुविधा आवश्यक है। मृदा चिकित्सा में मिट्टी मुख्य माध्यम होता है। मृदा चिकित्सा से निम्न लाभ मिलते हैं- मिट्टी सूर्य की किरणों से रंग चुस्ती लाती है और शरीर को प्रदान करती है। गठिया व त्वचा सुधर हेतु मृदा चिकित्सा लाभकारी है मृदा स्नान से त्वचा में बसे सूक्ष्म जीवाणु निकल जाते हैं मृदा स्नान या मृदा लेप से त्वचा रंध्र खुल जाते हैं मृदा चिकित्सा में निम्न तरीके अपनाये जाते हैं।
१- मृदा लेप- जिसमे मुंह या विशेष अंग पर औषधि मिश्रित या केवल मिट्टी लेप किया जाता है जैसे घाव भरने में घाव परचिकने मिटटी-चिपुड़ माटु लेप जाता है।
२- मृदा स्नान- मृदा स्नान या मड बाथ में शरीर के वृहद भाग में मिट्टी लेप किया जाता है या मनुष्य मिट्टी में लगभग नहाता है।
३- मृदा मालिश- मृदा मालिश में गीली अथवा सूखी मिट्टी से मालिश की जाती है।
४- मृदा में निद्रा- गीली अथवा सूखी मिट्टी में सो जाना। तनाव समाप्ति, नदी शक्ति वृद्धि आदि हेतु मिट्टी आराम या लेटना की सलाह दी जाती है।
५- मिट्टी में चलना- मनुष्य को गीली मिट्टी अथवा सूखी या घास सहित मिटटी में नंगे पाँव चलाया जाता है जो किडनी, गुरुत्वाकर्षण शक्ति वृद्धि, नेत्रों की दृश्य याने बॉडी बैलेंस व कई इलाज हेतु प्रयोग होता है।
मिट्टी या मृदा चिकित्सा से निम्न लाभ होते हैं –
१ – त्वचा से फोड़े, पिम्पल्स समाप्तीकरण
२- त्वचा कांती वृद्धि
३- पेट पर गीली मिटटी लेप से आँतों की कई बीमारी जैसे कब्ज, उल्टी, उबकाई, पेचिस की बीमारियों में सुधार
४- मिट्टी अथवा मृदा चिकित्सा से नेत्र मांसपेशियों का खिचाव कम किया जाता है व दृश्य शक्ति वर्धन भी होता है
५- मृदा अथवा मिट्टी चिकित्सा त्वचा संबंधी जैसे त्वचा फटना, फंगल या बैक्ट्रियल रोग (कादैं, यदि फटना, चरम रोग) आदि में लाभकारी होता है। त्वचा कांति वृद्धि
६- वृद्ध अवस्था कम करना या युवापन लौटाने हेतु
७- घाव भरान
८- बुखार, सिरदर्द रोकथाम आदि हेतु
९- गठिया सुधार मृदा चिकित्सा अथवा मड थिरेपी के उपरोक्त लाभ सिद्ध करते हैं कि मृदा चिकित्सा विकास मेडिकल टूरिज्म विकास में सहायक भूमिका निभाएगा।
भारत में मृदा चिकित्सा को सामाजिक व प्रशासनिक सम्मान की आवश्यकता
मृदा चिकित्सा में क्लिनिकल टेस्टिंग रिजल्ट- भारत में अंग्रेजों से सीखने के कारण बहुत से लाभकारी पारम्परिक चिकित्साओं को अंधविश्वास नाम दे दिया जाता है। मड थेरेपी अथवा मृदा
चिकित्सा के बारे में भी कई भ्रांतियां हैं। जबकि क्लिनिकल टेस्ट से सिद्ध हुए हैं कि मृदा चिकित्सा से कई लाभ मिलते हैं। Rhueumatol International जॉर्नल (२०११) में ए फ्राइयलि आदि के रिसर्च पेपर का निर्णय है कि मड बाथ या मृदा स्नान घुटनों के दर्द में सुधार है व रोगी को लाभ पंहुचता है। इन अन्वेषकों ने अन्य खोजपूर्ण लेखों में भी मड थिरैपी की वकालात की है। Rheumotology Volume 52 (अप्रैल २०१३) में एल ई अंतुनेज आदि की खोज अनुसार मृदा चिकित्सा (मालिश लेप आदि) से घुटने के जोड़ों के दर्द को मिटाने में सहायता मिलती है। अमेरिकी सरकारी नेटवर्क छपी फोंडा मॉगेरी व बाल्डी की खोज अनुसार मृदा चिकित्सा COPD (क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) रोगी को लाभ मिलता है। द इजरायल मेडिकल असोसिएसन जॉर्नल की अप्रैल २०१६ में निकोला ए पास्कारेली आदि की खोज सिद्ध करती है कि मृदा चिकित्सा (स्नान, लेप आदि) से घुटनों के जोड़ दर्द कम होने में सहायता मिलती है इंडियन जॉर्नल ऑफ ट्रेडीसनल नॉलेज (जुलाई २०१२) में राजीव रस्तोगी ने कई अन्य खोजों के अध्ययन से निर्णय दिया कि मड थेरैपी (लेप व स्नान) से आधुनिक समय में भी न्यूरोपैथी संबंधी रोग निदान में अवश्य ही लाभ मिलता है न्यू जर्सी के डा हैरी शिक डी सी ने भी मड थिरैपी की वकालात की है और लिखा कि विशेषतः जोड़ों के दर्द निवारण हेतु गर्म मृदा (कीचड़) लेप जोड़ों के दर्द निवारण में लाभकारी होते हैं जॉर्नल ऑफ कंप्लीमेंट्री ऐंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन्स (जुलाई २०१८) में रेशमा जोगड़ांड आदि के पयोग से सिद्ध होता है कि मड थिरैपी आँख हेतु लाभकारी हो सकते हैं विशेषतः माइंडफुल अटेन्सन स्केल। आँखों में मड थेरैपी से प्रजर्वेटिव थिंकिंग क्वेसनरी में भी लाभकारी हो सकता है (मनोवैज्ञानिक खोज) डॉ.ज्ञानदीप आदि की खोज (जॉर्नल ऑफ डेंटल ऐंड मेडिकल साइंस, सितंबर २०१६) से भी सिद्ध हुआ कि मड बात /मड थेरेपी कार्डियक टोन को मेंटेन तो करता ही है कई अन्य कार्डिक दुःख भी कम करने में सफल है। आजकल छात्रों में नेत्र दृष्टि क्षीणता रोग बहुत फ़ैल रहा है डॉ. अम्ल इस चंद्रन आदि की खोज (इंटरनेसाँ जॉर्नल ऑफ़ रिसर्चेज इन आयुर्वेद फार्मा, मार्च २०१८) से पता चलता है कि मृदा लेप ऐस्थेनोपिया रोग हेतु सस्ता व हानिरहित चिकित्सा सिद्ध हो सकती है। अंतोनेला फिओरावंती आदि की खोज (इंटरनेशनल जॉर्नल ऑफ बायोमैटिरोल, स्वीकृत दिसंबर २०१२, २०१३) भी बताती है कि मृदा चिकित्सा हाथ जोड़ों के दर्द निवारण हेतु लाभदायी चिकित्सा है। लुइस अंतुनेज आदि की खोज (Reumatologia Clinica मई जून २०१३) ने भी मड थिरैपी घुटने के जोड़ दर्द हेतु लाभदायी पाया। ओरीना क्लान आदि की खोज (अमेरिकन कॉलेज ऑफ रहिमेटोलॉजी व अमेरिकी सरकार नेटवर्क, अक्टूबर २०१६) सिद्ध करती है कि जोड़ों के दर्द निवारण हेतु मड थिरैपी सस्ती चिकित्सा भी है उपरोक्त संदर्भों के अतिरिक्त अन्य खोजों के अध्ययन से पता चलता है कि मृदा चिकित्सा जोड़ों के दर्द निवारण हेतु (विशेषतः पुराण दर्द) कामगर चिकित्सा है। मृदा चिकित्सा सस्ती चिकित्सा भी है।
मृदा चिकित्सा पर्यटन विकास हेतु महत्वपूर्ण कारक
मृदा चिकित्सा व मृदा चिकित्सा पर्यटन में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्साओं का जैसे उत्तराखंड के मुख्य शहर हरिद्वार, ऋषिकेश व देहरादून में सिमितना जबकि मृदा चिकित्सा ग्रामीण पर्यटन का मुख्य भाग है।
मृदा चिकित्सा पर्यटन हेतु निम्न कार्य आवश्यक हैं
१- मृदा चिकित्सा का वैज्ञानिक अध्ययन व अन्वेषण
२- मृदा चिकित्सा की ओर समाज का ध्यानाकर्षण जिससे राजनीतिज्ञ, प्रशासक मृदा चिकित्सा पर्यटन पर ध्यान दे सकें। मेरा मानना है समाज जागृत हो तो राजनीति व प्रशासनिक मशीनरी स्वयं ही जागृत होती है कारण राजनीतिज्ञ व प्रशासक मंगल गृह से नहीं आते अपितु समाज से ही पैदा होते हैं।
३- मृदा चिकित्सा हेतु प्रशिक्षित कर्मियों का प्रदेश में स्वागत हेतु योजनाएं, डाक्टर व अन्य कर्मियों को आमंत्रित करना आदि
४- संभावित मृदा चिकित्सा स्थलों की खोज व उनका चयन विशिष्ठ ग्रामीण भाग में
५- संभावित मृदा चिकित्सा स्थलों में इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवस्था
६- मृदा चिकित्सा के सहयोगी चिकित्सा प्रबंध व प्रतियोगी प्रोडक्ट(होटल, भोजन, मनोरंजन आदि का प्रबंधन) का प्रबंध
७- प्रचार प्रसार
८- अनभिज्ञ किन्तु संभावनाओं से भरपूर पर्यटक स्थलों के विकास हेतु मृदा चिकित्सा को उन पर्यटक स्थलों से जोड़ना
९- लघु नदियां उदाहरणार्थ उत्तराखंड की हिंवल, नयार नदी तटों पर मृदा चिकित्सा की संभवनाएं खोजना, योजना व व कार्य
उपरोक्त कार्य भविष्य के पर्यटन हेतु अति आवश्यक हैं।
मृदा चिकित्सा हेतु सामाजिक जागरण आवश्यक है जिससे नए नए निवेशक इस क्षेत्र में आए व मृदा चिकित्सा व्यापार को बढ़ाएं।
परिचय :- भीष्म कुकरेती
जन्म : उत्तराखंड के एक गाँव में १९५२
शिक्षा : एम्एससी (महाराष्ट्र)
निवासी : मुम्बई
व्यवसायिक वृति : कई ड्यूरेबल संस्थाओं में विपणन विभाग
सम्प्रति : गढ़वाली में सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता व व्यंग्य चित्र रचयिता, हिंदी में कई लेख व एक पुस्तक प्रकाशित, अंग्रेजी में कई लेख व चार पुस्तकें प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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